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- दिल कि बात: संपादकीय
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Editorial
किरण चौपड़ा। कोरोना के समय जब से यह शुरू हुआ हमने अच्छे घरों के सदस्यों के लिए आनलाइन कम्पीटिशन किए, डाक्टरों से वेबिनार और जरूतमंद बुजुर्गों के (सदस्यों) लिए घर-घर जाकर राशन, उनकी जरूरत का सामान और आर्थिक सहायता दी। अभी हमारे बहुत से जरूरतमंद सदस्य इंतजार में हैं, तो जैसे-जैसे लोगों का सहयोग या एडोप्शन आएगी हम उनको लेते जाएंगे।
अभी आजकल सभी सदस्यों के लिए दिल की बात प्रोग्राम चल रहा है, जिसके लिए सारे ब्रांच हैड ही जज हैं। दिल की बात प्रोग्राम बहुत ही सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। क्योंकि हमने देखा डांस प्रोग्राम, रैम्प वॉक प्रोग्राम, हंसो और हंसाओ और बैसाखी के प्रोग्राम में सबने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया।
90 प्रतिशत लोगों ने बार-बार हिस्सा लिया। यानी अपने टैलेंट के अनुसार सब ने हिस्सा लिया परन्तु कुछ सदस्य ऐसे भी थे जो शायद किसी कम्पीटिशन में हिस्सा नहीं ले पा रहे थे, दिल तो सबका कर रहा है, परन्तु सबको डांस, एक्टिंग बगैरहा नहीं आती थी परन्तु दिल तो सबका एक सा है।
किसी को चांस नहीं मिलता, किसी को साहस नहीं होता तो मैंने सोचा क्यों न सबके दिल की बात जान ली जाए। फिर सबको 2 मिनट दिए थे, परन्तु सबके अन्दर तो इतनी दिल की बातें भरी हुई थीं कि पूछो मत। उनको तो मैं 2 घंटे भी दे देती तो कम थे।
एक बात बहुत ही अच्छी देखने को मिली कि सबने अच्छी तरह अपने दिल की बात कही। किसी ने अपनी जिन्दगी का अनुभव बताया। किसी ने जो वो चाहते थे पूरा नहीं हुआ वो बताया। किसी ने यह भी बताया कि उनकी सारी इच्छाएं पूरी हुईं। किसी ने यह भी बताया कि अब वो क्या चाहते हैं। कुल मिलाकर सब कुछ अच्छा समझ आया। नए-नए चेहरे सामने आए, नई बातें देखने को मिलीं और सही मायने में बहुत से टैलेंटेड चेहरे, पढ़े-लिखे, आल राउंडर, सिंगर सामने आए। मुझे लगभग काफी सदस्यों के बारे में जानकारी मिली। सही मायने में टैलेंट भरा हुआ है। कोई व्यंजन की क्लास लेना चाहता है, कोई पढ़ाना चाहता है, कोई संगीत सिखाना चाहता है, कोई रिपोर्टर बनना चाहता है, कोई एक्टर बनना चाहता है, तो काफी लोग कोरोना को ही भगाना चाहते हैं। किस-किस का नाम लूं।
हां एक बात कहूंगी, सबके पीछे उनके ब्रांच हैड का बहुत हाथ है। बहुत मेहनत है, बहुत प्रेरणा है। उन सबको मेरा सैल्यूट है, नमन है। बस सबको यही कहूंगी हंसते-हंसते, व्यस्त रहते-रहते कट जाएंगे यह कोरोना के पल।
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Gulabi
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