सम्पादकीय

पर्यटन की डिजिटल चौकसी

Rani Sahu
18 Nov 2021 6:54 PM GMT
पर्यटन की डिजिटल चौकसी
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हिमाचल के चार पर्यटक शहरों की तलाशी बताती है

हिमाचल के चार पर्यटक शहरों की तलाशी बताती है कि पर्यटन की प्रेतछाया में आपराधिक प्रवृत्तियां कहां-कहां छुप रही हैं। चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले में मनाली, शिमला, कसौली व धर्मशाला के होटलों में सीबीआई की छानबीन से प्रदेश की छवि को घाटा ही हुआ है। आश्चर्य यह कि पर्यटन की बहारों को तरस रहे प्रदेश के भीतर पाप की दुनिया बसाते-बसाते अमानवीय व आपराधिक गतिविधियां शुरू हुई हैं। पर्यटन की व्याख्या में अपराध के घिनौने कांड अगर जड़ें जमा पाए, तो सारा परिदृश्य पापी हो जाएगा। यह इसलिए भी कि पर्यटक को सिर्फ गिना जा रहा है और इसलिए भी कि पर्यटन को न परिभाषित और न ही मुकम्मल किया जा रहा है। यह कार्य होटल एसोसिएशनों को भी करना चाहिए ताकि हर आने वाले चिन्हित हों। दरअसल हिमाचल में पर्यटन की कोई आचार संहिता है ही नहीं और न ही ऐसे सर्वेक्षण हो रहे हैं कि आखिर पर्यटक के भेष में कौन-कौन आ रहा है।

पर्यटक स्थलों पर राष्ट्रव्यापी गिरोह ऐसे कई धंधों में संलिप्त हैं और हिमाचल इनसे अछूता नहीं। पुलिस फाइलों में दर्ज मामलों का शोध बता सकता है कि हर साल नशे, देह व्यापार तथा इस तरह की अवैध गतिविधियों में किस तरह इजाफा हो रहा है। पर्यटन पुलिस के जरिए ऐसा माहौल बनाया जा सकता है ताकि राज्य की गतिविधियों में मनोरंजन अर्थहीन न हो जाए। जब से युवा पर्यटन की ताजपोशी हुई है या ट्रैकिंग आपरेशन में निरंकुशता आई है, राज्य में पर्यटकों का व्यवहार अनियंत्रित हुआ है। ट्रैकिंग के दौरान लापता हो रहे सैलानी किन परिस्थितियों के शिकार हो रहे हैं या हिमाचल को पर्यटन की दृष्टि से बेच रहे लोग किस तरह का प्रचार कर रहे हैं, इसके ऊपर डिजिटल चौकसी चाहिए। हिमाचल का उल्लेख जिस तरह सोशल मीडिया की आदत में खुराफात कर रहा है, उस पर निगाह चाहिए। हर तरह के प्रचार को सही नहीं माना जा सकता। यह अनियंत्रित पर्यटन की कोख से जन्म ले रहे अपराध हो सकते हैं, जिनकी टोह में सीबीआई हिमाचल के चार प्रमुख शहरों को खंगाल रही है। बेशक यह अपमानजनक स्थिति है, लेकिन इसके लिए व्यावसायिक उच्छृंख्लता तथा प्रशासनिक ढील भी जिम्मेदार है। पर्यटकों का न तो उचित पंजीकरण और न ही होटल स्टे की निगरानी में रिपोर्टिंग सिस्टम बना है। प्रदेश के एंट्री प्वाइंट पर ही पंजीकरण की व्यवस्था से पर्यटक जुड़ने चाहिएं ताकि एक ऐप के जरिए निगरानी तथा हर पर्यटक को पल-पल की सूचनाओं से जोड़ा जा सके। दूसरी ओर सीबीआई जांच से प्रदेश के पुलिस तंत्र को भी सबक लेना चाहिए।
पुलिस का खुफिया विभाग इस प्रकरण से अपनी सूचनाओं की स्थिति का अवलोकन कर सकता है। प्रदेश में आपराधिक प्रवेश के कई द्वार सज रहे हैं। सीमांत राज्यों से सटे मैदानी इलाकों की निगरानी व्यवस्था के लिए पुलिस विभाग में ढांचागत परिर्वतन की जरूरत के साथ-साथ टास्क फोर्स गठित करनी चाहिए। प्रदेश के शिमला व धर्मशाला में पुलिस कमिश्नरों की नियुक्ति के साथ व्यवस्था की कार्य संस्कृति में अंतर लाया जा सकता है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे घृणित अपराध की अगर कोई शाखा प्रदेश में चलती रही है, तो इसके कई सूत्रधार होंगे। इसी तरह पर्यटन के फैलते मायाजाल में हिमाचल को गलत अर्थों का डेस्टिनेशन बनाया जा रहा है। पहले भी मलाणा क्रीम के नाम पर ऐसी ब्रांडिंग हो चुकी है कि कई शौकीन इसी अनुभव की खाक छानने के लिए यहां पहुंच जाते हैं। सोशल मीडिया के जरिए समाज ने जिस तरह खुद को ही प्रचार का पात्र बना लिया है, उससे भी आपराधिक षडयंत्र पनप रहे हैं। बहरहाल सीबीआई जांच में क्या निकल कर आता है, कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतनी सी सूचना पर भी सचेत होने की आवश्यकता है, क्योंकि ऐसे मामलों का भौंडा चेहरा प्रदेश की छवि को मलिन करने का काम ही करेगा।
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