सम्पादकीय

चौके-छक्कों से संवाद

Rani Sahu
25 Feb 2022 7:09 PM GMT
चौके-छक्कों से संवाद
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क्रिकेट के जुनून ने पुनः हिमाचल की राह पकड़ी और धर्मशाला स्टेडियम अपने उत्साह में मशगूल हो गया

क्रिकेट के जुनून ने पुनः हिमाचल की राह पकड़ी और धर्मशाला स्टेडियम अपने उत्साह में मशगूल हो गया। भारत-श्रीलंका के बीच अगले दो टी-20 मैचों का आयोजन अपने साथ कई मुहावरे और पर्यटन के कई पैमाने भी जोड़ रहा है। अगर मौसम शरारत और भारतीय टीम गलती न करे, तो धौलाधार के आंचल में इतने यादगार पल पैदा होंगे कि यहां मैच के भीतर और मैच के बाहर कई नजराने और नजारे दिखाई देंगे। क्रिकेट के इतिहास से जुड़ता हिमाचल, अपने साथ उन संभावनाओं को भी जोड़ता है, जो इस प्रदेश को खेल राज्य बनाने के लिए काफी हैं। क्रिकेट को खेल से कहीं अधिक मनोरंजन और राष्ट्रीय भावना से देखा जाता है। इसलिए जब धर्मशाला में भारत बनाम श्रीलंका होगा, तो वहां इस खेल के अभिप्राय में भारत का वर्चस्व भी परखा जाएगा। खेल के तमाम पहलुओं को साझा करता धर्मशाला खेल स्टेडियम का आकार-प्रकार और देवभूमि का ओजस्वी प्रताप भी मौजूदा रहेगा यानी खेल के हर चौके-छक्के का सीधा संवाद प्रकृति से भी होगा।

यही वजह भी है कि यह स्टेडियम बिना मैच के भी प्रशंसकों की मिट्टी जोड़ता है और इसे तालियां मिलती हैं। यानी खेल के अभिप्राय से हटकर भी यहां हुजूम की तालियां हमेशा उस नजारे को मिलती हैं, जिसे संजो कर हिमाचल क्रिकेट एसोसिएशन ने यह अजूबा तैयार किया है। पहाड़ की गोद में क्रिकेट के अपने अध्याय खोलता यह स्टेडियम वास्तव में खेलों के प्रति ऐसा अनुराग है, जिसने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के व्यक्तित्व की स्थायी समीक्षा की है। यह खेलों को पर्यटन और प्रतिभा के नजदीक लाने की ऐसी सफल पटकथा है, जिसे लिख कर अनुराग ठाकुर एक स्तंभ बन गए। आप उन्हें राजनीतिक अवतरण में पसंद करंे या न करें, लेकिन क्रिकेट की मशाल थाम कर उन्होंने प्रदेश को चलना सिखाया और जिसके बदौलत आज हिमाचल अंडर नाइनटीन क्रिकेट चैंपियनशिप जीत रहा है, तो भारतीय महिला क्रिकेट में प्रदेश की बेटियां शरीक हो रही हैं। आईपीएल की खरीद में हिमाचली खिलाड़ी भी व्यावसायिक दृष्टि से अपनी वित्तीय रीढ़ मजबूत कर रहे हैं।
विडंबना यह है कि खेलों का सफर क्रिकेट से आगे नहीं निकल रहा है, जबकि धर्मशाला व बिलासपुर के साई छात्रावासों के अलावा प्रदेश के अपने केंद्र काफी शिद्दत से काम कर रहे हैं। खेल अधोसरंचना में कुछ विकास हुआ है, लेकिन ग्रामीण, स्कूल व विश्वविद्यालय स्तर की खेलों में निखार नहीं आ रहा है। केंद्रीय विश्वविद्यालय अपने देहरा परिसर में खेलों को प्रोत्साहित करने की दिशा में वचनबद्ध दिखाई देता है, लेकिन शिमला विश्वविद्यालय की ओर से खेल प्रशिक्षण, खेल व समर कैपों के आयोजन या तो कमजोर रहे या युवाओं को प्रोत्साहित नहीं कर पाए। हिमाचली खिलाड़ी आज भी उच्च शिक्षा के लिए गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर को प्राथमिक मानते हैं तो इसलिए कि वहां उच्च मानकों के तहत ऐसी प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलता है। इतना ही नहीं गुरुनानक देव विश्वविद्यालय जल क्रीड़ाओं के लिए पौंग बांध तथा समर शिविर के तहत साइकिलिंग व एथलेटिक्स के लिए छात्रों के समूह को धर्मशाला की आबोहवा में प्रशिक्षित करता रहता है। हिमाचल एक साथ कई खेलों के प्रशिक्षण की राष्ट्रीय पहचान में बड़ी भूमिका निभा सकता है और अगर बतौर खेल मंत्री अनुराग ठाकुर यह फर्ज निभा पाए, तो यह भविष्य में यहां की प्रतिभा को भी संपन्न करेगा। धर्मशाला में प्रस्तावित हाई आल्टीच्यूट स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना के अलावा राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से संपूर्ण हिमाचल में आधा दर्जन के करीब खेल परिसर विकसित हो जाएंगे। बहरहाल क्रिकेट की बहारों में पुनः प्रदेश का भ्रमण न केवल देश के लिए तालियां बटोरेगा, बल्कि हिमाचल के पर्यटन का संबल भी बनेगा।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल

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