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अवज्ञा, अवधारणा और पूर्वांचल (Purvanchal) की राजनैतिक जटिलता के बीच धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) अब फिर से चर्चा में हैं
उत्पल पाठक
अवज्ञा, अवधारणा और पूर्वांचल (Purvanchal) की राजनैतिक जटिलता के बीच धनंजय सिंह (Dhananjay Singh) अब फिर से चर्चा में हैं , जानकारों को भी इस बात का अंदाज़ा नहीं कि धनंजय सिंह की वस्तु स्थिति फरार अभियुक्त (Absconding Accused) की है या नहीं ? 16 फरवरी को जौनपुर में जिस जोश-ओ-खरोश के साथ धनंजय सिंह ने नामांकन दाखिल किया उसको देख कर उनके फरार होने पर सवालिया निशान लगने लगे. बहरहाल नामांकन के दिन धनंजय मीडिया से मुखातिब भी हुए और अपनी जीत को लेकर आश्वस्त होने के साथ विधानसभा के विकास से लगायत फल-सब्जी के उत्पादन को बढ़ावा देने और नाना प्रकार की आध्यात्मिक बातें भी कहीं.
ऐसे में पुलिस के दस्तावेजों में किसी फरार अभियुक्त द्वारा इस तरह सार्वजनिक रूप से सामने आने की यह संभवतः पहली घटना है. हालांकि फरारी और पुलिस द्वारा उनकी खोज किए जाने का उपक्रम पिछले एक साल से कुछ अधिक ही नाटकीय हो चला है. लखनऊ पुलिस ने धनंजय सिंह को कई बार गिरफ्तार करने का प्रयास किया, लेकिन गिरफ्तारी हो नहीं पाई , पुलिस एक तरफ छापेमारी कर रही थी दूसरी तरफ धनंजय सिंह आराम से घूम रहे थे और अपने चुनावी क्षेत्र में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे थे.
कुछ महीने पहले ही धनंजय सिंह एक पुराने मामले में जमानत काटकर जेल भी गए, लेकिन कुछ ही समय बाद ही दोबारा जमानत पर बाहर आ गये लेकिन लखनऊ पुलिस को नहीं मिले. लखनऊ पुलिस द्वारा पूर्व सांसद के कई ठिकानों पर कई बार दबिश डालने के बावजूद उसके हाथ खाली ही रहे. जिला पंचायत के चुनाव के समय जौनपुर में उनके एक निवास स्थान पर पुलिस द्वारा मुनादी करवाए जाने और छापेमारी करने का वीडियो सामने आया था लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. धनंजय जौनपुर में खुलेआम लाव-लश्कर के साथ घूमते रहे और पूर्वांचल के ही अन्य बाहुबली की मदद से अपनी पत्नी श्रीकला सिंह को जिला पंचायत का चुनाव आसानी से जिता ले गये.
भजन कीर्तन, क्रिकेट और चुनाव प्रचार
बीते कुछ महीनों में धनंजय सिंह जिसे उत्तर प्रदेश की पुलिस एवं एसटीएफ गंभीरता से खोज रही रही, वे निश्चिन्त होकर राम कथा और मानस कथा में कथा सुन रहे थे, युवा समर्थकों के साथ क्रिकेट खेल रहे थे और मीरगंज के करियांव प्रीमियर लीग क्रिकेट टूर्नामेंट के उद्घाटन समारोह में शामिल हो रहे थे. साथ ही पंचायत चुनाव में अपने पत्नी के चुनाव प्रचार के बाद अपने चुनाव के प्रचार कार्यक्रम में लगे हुए थे. चुनाव प्रचार की कुछ तस्वीरें सामने आने के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार को आड़े हाथों लिया था और तब से अब तक अखिलेश अपराध से सम्बंधित हर बयान में धनंजय सिंह का नाम जरूर लेते हैं.
मलहनी विधानसभा, धनंजय सिंह और पारस यादव का त्रिकोणीय सम्बन्ध
जौनपुर की मलहनी विधानसभा अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही पूर्वांचल की हॉट सीट है, परिसीमन के बाद रारी सीट का अधिकांश इलाका मलहनी में आ गया और इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से लेकर अब तक यहां 2 विधानसभा चुनाव और एक विधानसभा उपचुनाव हो चुके हैं और इन तीनों चुनावों में अगर कुछ उभय-निष्ठ है या समान है तो वो है पारसनाथ यादव और धनंजय सिंह की सीधी लड़ाई. यादव बाहुल्य मलहनी सीट पर दलित वोटरों की भी अच्छी खासी संख्या है, तीसरे नंबर पर यहां संख्याबल में क्षत्रिय वोटर हैं, चौथे नंबर पर मुस्लिम समुदाय के वोटर हैं एवं उसके अलावा वैश्य, ब्राम्हण एवं अन्य समुदाय के वोटर भी अच्छी मात्रा में हैं.
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पारस नाथ यादव ने निर्दलीय उम्मीदवार और धनंजय सिंह की पूर्व पत्नी डॉ. जागृति सिंह को हराया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी लहर के बावजूद इस सीट पर समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव ने निषाद पार्टी से लड़ रहे धनंजय सिंह को हरा कर दोबारा जीत दर्ज की थी. पारसनाथ यादव के निधन के बाद 2020 में हुए उपचुनाव में पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव मामूली अंतर से जीतकर इस सीट पर विधायक बने, लेकिन इस बार भी इस सीट पर उनके निकटतम उम्मीदवार धनंजय सिंह ही थे.
मलहनी तब और अब
धनंजय सिंह इस बार भी मलहनी विधानसभा से जेडीयू के टिकट पर 2022 में निर्वाचित होने के लिये ज़ोर आज़माईश कर रहे हैं. सपा के मुकाबले में निवर्तमान विधायक एवं स्वर्गीय पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाया है, लकी के खेमे के विश्लेषक यह मानते हैं कि इस सीट पर मुस्लिम यादव वोटों की मिली जुली संख्या के आधार पर लकी की जीत सुनिश्चित है. लेकिन धनंजय के खेमे के रणनीतिकारों का यह मानना है कि पंचायत चुनाव में मिली जीत के बाद धनंजय इस बार आसानी से चुनाव जीत लेंगे. बहरहाल इन दोनों ही खेमों के दावों में कितनी सच्चाई है इस बात का फैसला 10 मार्च को मतगणना वाले दिन होगा.
लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि शायद पूर्वांचल में मलहनी ही एक ऐसी सीट है जहां चुनाव में धनंजय बनाम सपा है और अन्य राजनैतिक दलों का यहां कोई नामलेने वाला भी नहीं है. 2020 के उपचुनाव में सपा के लकी यादव को 73,468 वोट मिले थे, धनंजय सिंह 68,836 वोट पाकर दूसरे स्थान पर थे, बीजेपी के मनोज कुमार सिंह इस सीट पर 28,840 वोट पाकर तीसरे स्थान पर, उनके बाद बीएसपी के जय प्रकाश दूबे 25,180 वोट पाकर चौथे स्थान पर थे.
2017 के विधानसभा चुनाव में एसपी प्रत्याशी
पारसनाथ यादव को 69,351 वोट मिले, दूसरे स्थान पर धनंजय सिंह को 48141 वोट मिले , बीएसपी प्रत्याशी विवेक यादव को 46,011 वोट मिले एवं बीजेपी के सतीश कुमार सिंह 38,996 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे. 2012 में सपा के पारसनाथ यादव को 81,602 वोट मिले थे, धनंजय सिंह की पूर्व पत्नी डा जागृति सिंह को 50,100 वोट मिले थे, बसपा के उम्मीदवार पाणिनि सिंह को 45,841 वोट मिले थे. बीजेपी ने इन चुनावों में इस सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा था.
अजीत सिंह हत्याकांड
लखनऊ के विभूतिखंड इलाके में 6 जनवरी 2021 को हुई एक गैंगवार में कठौता चौराहे के पास मऊ के गोहना के पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख अजीत सिंह की कुछ हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. वारदात के बाद अजीत की पत्नी रानू सिंह ने मऊ में जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत आजमगढ़ के माफिया कुंटू सिंह उर्फ ध्रुव सिंह, अखंड सिंह और गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर के खिलाफ लिखित तहरीर दी थी. दूसरी तरफ लखनऊ के थाना विभूतिखंड में अजीत सिंह के करीबी मोहर सिंह द्वारा दी गयी तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया था.
इस घटना में अजीत सिंह को 25 गोलियां मारी गयी थीं और वादी मोहर सिंह के पैर में भी गोली लगी थी. इस हत्या कांड के दौरान गोलीबारी में घायल हुए एक हमलावर राजेश का उपचार कराने वाले शिवेंद्र उर्फ अंकुर ने रिमांड के दौरान पूछताछ में यह माना था कि अजीत सिंह की हत्या में पूर्व सांसद धनंजय सिंह की भी भूमिका है.
एसटीएफ ने 26 जनवरी 2021 को अजीत सिंह की हत्या में वांछित 50 हजार रुपये के इनामी बदमाश विपुल सिंह को अवध बस अड्डे से गिरफ्तार कर लिया था जब वह शहर छोड़कर भागने की फिराक में था. मूलरूप से जौनपुर के शाहगंज का रहने वाला विपुल गोमतीनगर में कहीं छिप कर रह रहा था. पुलिस का मानना था कि विपुल पूर्व सांसद धनंजय सिंह का करीबी है. विपुल पर यह आरोप है कि विपुल ने अजीत पर हमला करने वाले शूटर राजेश तोमर को घायल अवस्था में सुल्तानपुर ले जाकर उसका इलाज कराया था. गौरतलब है कि हत्याकांड वाले दिन अजीत की ओर से की गई काउंटर फायरिंग में शूटर राजेश घायल हो गया था.
गिरधारी एनकाउंटर
15 फरवरी 2021 को अजीत हत्याकांड के मुख्य आरोपी और शूटर गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर को एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. सरकारी वक्तव्य के अनुसार पुलिसउसे गिरफ्तार करने के बाद अपने साथ लेकर असलहा बरामद करने के उद्देश्य से खरगापुर निकली थी, जहां मौका पाकर उसने दरोगा पर सिर से वार किया और सरकारी पिस्तौल छीनकर भागने लगा जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने उसका पीछा किया तो उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी, मौके पर एसएसआई के दाहिने हाथ में गोली लगी. पुलिस द्वारा की गयी जवाबी फायरिंग में गिरधारी गंभीर रूप से घायल हो गया था जिसे पुलिस इलाज के लिए लोहिया अस्पताल ले गयी थी. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. पुलिस गिरधारी को तीन दिन की कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही थी.
कोर्ट ने धनंजय को घोषित किया था भगोड़ा
6 जुलाई 2021 को लखनऊ की कोर्ट ने अजीत सिंह की हत्या में बड़ी साजिश रचने के साक्ष्य मिलने के बाद पूर्व सांसद धनंजय सिंह को भगोड़ा घोषित कर दिया था. इस हत्याकांड में लखनऊ पुलिस द्वारा ताबड़तोड़ कार्यवाही की गयी थी और एनकाउंटर समेत कई गिरफ्तारियों के बाद धनंजय सिंह का भी नाम जोड़ा गया और खिलाफ कोर्ट से 82 की कार्रवाई भी हुई थी. अजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने के आरोप में लखनऊ पुलिस ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ इस घटना में संलिप्तता के चलते कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट, फरारी की घोषणा का आदेश भी लिया था और उन पर 25 हजार का इनाम घोषित किया था. वहीं विवेचना एसटीएफ के स्थानांतरित होने के बाद पूर्व सांसद के खिलाफ सूचना न देने और अपराधी को प्रश्रय देने के साक्ष्य भी मिल रहे हैं.
विभागीय पत्रावली के अनुसार, इस मामले की विवेचना के बाद एसटीएफ के विवेचक ने कोर्ट में आरोपी प्रदीप सिंह और सुनील राठी के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. पूर्व में इस मामले में ध्रुव सिंह उर्फ कुण्टू, अखण्ड प्रताप सिंह, तेज प्रताप सिंह उर्फ प्रिंस, अब्दुल रेहान, मनीष उर्फ बन्धन, शिवेंद्र उर्फ अंकुर सिंह, संदीप उर्फ बाबा, राजेश उर्फ वीरू और राजेश तोमर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. अजीत सिंह की पत्नी श्रीमती रानू सिंह द्वारा कोर्ट में निष्पक्ष विवेचना की मांग वाली अर्जी दिए जाने के बाद एसटीएफ के विवेचक अंजनी कुमार तिवारी ने कोर्ट को बताया कि इस घटना के मुख्य साजिशकर्ता ध्रुव सिंह और अखण्ड प्रताप सिंह हैं और धनंजय सिंह के खिलाफ केवल अपराधी को प्रश्रय देने और जानकारी होने के बावजूद सूचना न देने के साक्ष्य ही मिले हैं.
धनंजय सिंह की ओर से पूर्व में सीजेएम की कोर्ट में आत्मसमर्पण की अर्जी दी गई है जिसमें एसटीएफ ने अपनी रिपोर्ट नहीं दी है. इस मामले में सुनवाई के लिए सीजेएम ने 19 फरवरी की तारीख तय की थी, जबकि पूर्व सांसद की ओर से अग्रिम जमानत की अर्जी भी सत्र न्यायालय में दी गई है जिसमें बीते सोमवार को वादी मोहर सिंह ने अपनी आपत्ति दाखिल की है. इस मामले में सुनवाई के लिए 18 फरवरी की तारीख तय की गई थी.
अब भी फंसा है पेच
अजीत सिंह की पत्नी रानू सिंह ने 17 फरवरी को पत्र भेजकर जौनपुर के जिला निर्वाचन अधिकारी से धनंजय के नामांकन को रद्द करने की मांग की थी. लेकिन शिकायतकर्ता के स्वयं उपस्थित न होने और हलफनामें पर शिकायत न होने के कारण निर्वाचन आयोग द्वारा नियमानुसार शिकायत करने के लिए कहा गया था. लेकिन हलफ़नामे के साथ शिकायत न मिलने के कारण 17 फरवरी को ही दोपहर 3 बजे रिटर्निंग आफिसर हिमांशु नागपाल द्वारा धनंजय के नामांकन पत्र को वैध घोषित कर दिया गया था.
FIRइसके बाद रानू सिंह नें चुनाव आयोग को पत्र भेजकर धनंजय का नामांकन रद्द करनें की मांग की थी, चुनाव आयोग ने रानू सिंह के शिकायती पत्र को गंभीरता से लेते हुए धनंजय सिंह को सोमवार यानि कि 21 फरवरी को पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा था. जिला प्रशासन द्वारा चुनाव आयोग धनंजय सिंह के नामांकन को वैध मानते हुए चुनाव आयोग को सूचित कर दिया है लेकिन रानू सिंह द्वारा की गयी शिकायत को भी चुनाव आयोग के संज्ञान में डाल दिया गया है, लेकिन इस आलेख में आयोग द्वारा अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
एक नया वारंट
जौनपुर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय ने कोतवाली थाना क्षेत्र के एक अन्य मामले में आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ बुधवार को गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसकी सूचना सरकारी वकील मो. इमरान द्वारा प्रेस नोट के जरिए दी गई थी. वारंट जारी होने के कुछ देर बाद ही धनंजय सिंह के अधिवक्ता ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया कि कंप्यूटर व पत्रावली में गलत तिथि अंकित होने की वजह से आरोपी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है. कोर्ट ने धनंजय सिंह के अधिवक्ता की दलील के आधार पर पर वारंट निरस्त कर अगली तिथि 24 मार्च को धनंजय को तलब किया है.
क्या है पूरा मामला
15 फरवरी 2017 को उड़नदस्ता टीम ए 367 ने विधानसभा मल्हनी चुनाव के दौरान धनंजय के काफिले की जांच के बाद पाया था कि काफिले के साथ तीस चार पहिया वाहन एवं 50 से ऊपर दो पहिया वाहन चल रहे थे. समर्थकों द्वारा निषाद पार्टी की चिह्न लगी हुई टोपी धारण की गई थी. काफिले में मौजूद गाडि़यों के कारण कलीचाबाद तिराहे पर जाम लग गया. निर्वाचन आयोग के निर्देश के अनुसार तीन से अधिक चार पहिया वाहन प्रत्याशी के साथ लेकर चलने की अनुमति नहीं है अतः आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में पुलिस अधीक्षक जौनपुर अजय कुमार साहनी ने तत्कालीन निषाद पार्टी के उम्मीदवार पूर्व सांसद धनंजय सिंह व अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया था.
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कोर्ट में केस डायरी दाखिल हुई, इसी बीच पत्रावली एमपी एमएलए कोर्ट इलाहाबाद चली गई थी. उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद पत्रावली एसीजेएम तृतीय की अदालत में स्थानांतरित हुई. बुधवार को सरकारी वकील मोहम्मद इमरान द्वारा पत्रावली पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कोर्ट को सूचित किया कि आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह काफी समय से गैरहाजिर हैं जिसके बाद कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया.
आरोपी के अधिवक्ता ने कुछ ही देर बाद प्रार्थना पत्र दिया कि कंप्यूटर लिस्ट के अनुसार पत्रावली में 24 फरवरी तिथि नियत थी, लेकिन भूलवश 23 फरवरी तिथि पत्रावली में दर्ज हो गई और गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है. ऐसे में इतने मामलों के बीच धनंजय सिंह का चुनाव प्रचार भी सुचारु रूप से चल रहा है, देखना यह है कि चुनाव आने तक धनंजय जेल के अंदर से लड़ेंगे या बाहर से लेकिन एक बात तो तय है कि मल्हनी विधानसभा इस बार भी सर्वाधिक चर्चित सीट बनी रहेगी.
Rani Sahu
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