सम्पादकीय

डेमोक्रेट्स जोखिम उठाने तैयार नहीं; दो ही तो दल हैं, अमेरिका के लोकतंत्र को कौन बचाएगा?

Rani Sahu
2 Oct 2021 6:30 PM GMT
डेमोक्रेट्स जोखिम उठाने तैयार नहीं; दो ही तो दल हैं, अमेरिका के लोकतंत्र को कौन बचाएगा?
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अब इसमें कोई संदेह नहीं कि ट्रम्प चुनाव धोखाधड़ी के मनगढ़ंत दावों के आधार पर व्हाइट हाउस में रहने के लिए अपने उप-राष्ट्रपति,

थाॅमस एल. फ्रीडमैन अब इसमें कोई संदेह नहीं कि ट्रम्प चुनाव धोखाधड़ी के मनगढ़ंत दावों के आधार पर व्हाइट हाउस में रहने के लिए अपने उप-राष्ट्रपति, न्याय विभाग और रिपब्लिकन विधायकों को तख्तापलट में शामिल करने का प्रयास कर रहे थे। लगभग पूरा रिपब्लिकन गुट बेशर्मी से ट्रम्प के आगे झुक गया। वे सभी सबसे बड़े राजनीतिक पाप के भागीदार हैं।

उनकी करतूतें सामने आने (जैसे बोगस ऑडिट, फर्जी आरोप आदि लनाना) से इसमें कोई शक नहीं रह गया कि अमेरिका का लोकतंत्र में 245 वर्षों का प्रयोग बेहद सकंट में है। इस बीच रिपब्लिकन नेता और वायोमिंग की सांसद लिज़ चेनी लगातार डोनाल्ड ट्रम्प को लोकतंत्र का खतरा बताते हुए दोबारा चुनाव लड़ने का जोखिम उठाने तैयार है और पार्टी के खिलाफ खड़ी हैं।
हमारा अगला राष्ट्रपति चुनाव शायद लोकतंत्र का अंतिम उदाहरण होगा। यह कोड रेड है। और अब मैं आता हूं कांग्रेस में मौजूद डेमोक्रेट्स पर। उनसे मेरा बस एक सवाल है क्या आप लोकतंत्र को बचाने के लिए लिज़ की तरह जोखिम उठाने तैयार हैं? क्योंकि जब दो-दलीय व्यवस्था में एक पार्टी कपटी हो जाए तो दूसरी को कदम उठाने होते हैं। डेमोक्रेट्स को तीन चीजें एकसाथ करनी होंगी: अपना एजेंडा बढ़ाना, चुनावों की अखंडता की रक्षा करना और ट्रम्प-अनुयायियों वाली रिपब्लिकन पार्टी को फिर से सत्ता में आने से रोकना।
यह बहुत बड़ा काम है। सभी डेमोक्रेट्स मिलकर सीनेट और संसद में इंफ्रास्ट्रक्चर बिल, मतदाता अधिकार बिल और 'बिल्ड बैक बेटर' कानून के लिए जरूरी बहुमत तैयार करें। इसके लिए नरम दलीय (मॉडरेट्स) और प्रगतिशील (प्रोगेसिव) डेमोक्रेट्स को समझौता करना होगा। अगर ये बड़े बिल पास नहीं होते हैं, बाइडेन सरकार गिर जाती है और ट्रम्प के रिपब्लिकन्स, संसद और सीनेट पर फिर कब्जा कर ट्रम्प को व्हाइट हाउस में ले आते हैं तो फिर कोई मौका नहीं बचेगा।
इसलिए मैं दोहराता हूं: क्या मध्यपंथी डेमोक्रेट्स के नेता जॉश गॉथिमर और कांग्रेशनल प्रोग्रेसिव कॉकस की नेता प्रमिला जयपाल में हिम्मत है कि वे सिर्फ अल्टीमेटम जारी करने के अलावा कोई ठोस कदम उठा सकें? बेशक उन्हें उनके चुनावी क्षेत्रों में विरोध का सामना करना पड़े, लेकिन दोनों पक्षों को काफी लाभ भी होगा। यही राजनीति है। क्या डेमोक्रटिक सीनेटर जो मनचिन और किर्सटन सिनेमा भी दोबारा न चुने जाने का जोखिम उठाएंगे, या उन्हें भी रिपब्लिकन नेताओं की तरह 1.72 लाख डॉलर के अपने वेतन और रीगन नेशनल एयरपोर्ट पर मुफ्त पार्किंग से ज्यादा लगाव है?
और क्या वाकई में बाइडेन का व्हाइट हाउस तमाम दबावों के बीच समझौते को तैयार है? इन बिलों से जनता में काफी ऊर्जा आ सकती है, जिन्हें सिर्फ सामाजिक सुधार न कहा जाए, बल्कि इसकी ठोस बातें उजागर की जाएं जैसे बीमार और बुर्जगों के लिए घर में देखभाल, सस्ती दवाएं, स्वच्छ ऊर्जा आदि। साथ ही व्हाइट हाउस को इसका प्रचार सिर्फ शहरी डेमोक्रेट्स में नहीं, बल्कि ग्रामीण रिपब्लिकन्स में भी करना होगा।
कोई भी डेमोक्रेटिक सांसद समझौता कर अपने कॅरिअर को जोखिम में डालना नहीं चाहेगा, जो कि सबसे ज्यादा ट्रम्प समर्थक राज्य वायोमिंग में ट्रम्प को ही लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए दोबारा चुनाव लड़ने की तुलना में बच्चों का खेल ही है। लेकिन यहां सामान्य बोध की जीत नहीं होगी। जैसा कि मिनेसोटा डेमोक्रेटिक सांसद डीन फिलिप्स मुझसे कहते हैं, 'डेमोक्रेट नेताओं के बीच व्यावहारिकता की कमी उतनी ही चिंताजनक है, जितनी रिपब्लिकन्स में सिद्धांत की कमी।'


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