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- घाटे की अर्थव्यवस्था
Written by जनसत्ता: यह बेहद गंभीर विषय है कि भारतीय रुपए के निरंतर अवमूल्यन के दरमियान ही इस सप्ताह भारत का व्यापार घाटा भी सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में पहली बार अपने आधिकारिक निर्यात लक्ष्य 400 बिलियन डालर को पार करते हुए 422 बिलियन डालर का निर्यात किया, जबकि इसी वर्ष देश का आयात भी 613 बिलियन डालर के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया।
इस प्रकार भारत का व्यापार घाटा 191 बिलियन डालर रहा जो दुर्भाग्यवश पिछले वर्ष 2020-21 से दोगुना है। यही नहीं, वर्तमान सत्र की पहली तिमाही में निर्यात-आयात के बीच की खाई भी पिछले वर्ष की तुलना में और अधिक चौड़ी हो गी। इस साल के पहले तीन महीनों में ही भारत का व्यापार घाटा 70 बिलियन डालर तक पहुंच गया है जो अभी तक के रेकार्ड से दोगुना है।
इसके लिए अनेक कारण गिनाए जा सकते हैं या वास्तव में घाटे के वास्तविक कारण हो सकते हैं, पर कड़वा सच यही है कि देश का व्यापार घाटा तेजी से और लगातार बढ़ रहा है। वित्त मंत्रालय, उद्योग-वाणिज्य मंत्रालय द्वारा इस अप्रत्याशित घाटे पर तुरंत प्रभावी रोक लगाई जानी चाहिए, क्योंकि इस महत्त्वपूर्ण समस्या पर समय रहते नकेल कसना ज़रूरी है।
मथुरा में कचरे में फेंकी गई मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की तस्वीर संविदा पर काम करने वाले एक सफाईकर्मी कचरे से भरे ठेले में ले जाते हुए दिखा। वीडियो सुर्खियों में आने पर संविदा पर नियुक्त सफाई कर्मी पर गाज गिरी और उसे बर्खास्त कर दिया गया। ऐसे अपराध की सजा हमेशा निचले स्तर के छोटे गरीब कर्मचारी को देकर मामला समाप्त कर दिया जाता है। कचरे में तस्वीर फेंकने वाला व्यक्ति और कर्मचारी को उचित प्रशिक्षण नहीं देने वाले अधिकारी भी ऐसे मामले में समान अपराधी हैं। उच्च कर्मचारी एवं अधिकारियों को छोड़ दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा निर्मित बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे निश्चित रूप से इस क्षेत्र में पर्यटन एवं रोजगार के लिए वरदान साबित होगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे को आगरा-लखनऊ बुंदेलखंड से जोड़ा गया है जिससे आवागमन सुगम होगा और विकास की गति भी बढ़ेगी। अभी तक बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक पिछड़े माने जाने वाले क्षेत्र में एक माना जाता है, जहां गरीबी, भुखमरी, बदहाली है। खेती-बाड़ी बारिश पर निर्भर रहती है। सिंचाई परियोजनाओं का हमेशा अभाव रहा है, किसान एवं खेतिहर मजदूर के लिए सूखा सबसे बड़ी समस्या है।
यह क्षेत्र का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि पंद्रह वर्षों में बुंदेलखंड में बसपा, सपा और भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकारें रही है लेकिन प्रगति अभी कोसों दूर है। बुंदेलखंड आल्हा-उदल की कर्मभूमि है। दुनिया के जाने-माने हाकी के जादूगर ध्यानचंद इसी क्षेत्र से हैं। मोहबा कालपी और झांसी पर्यटन क्षेत्र हैं बसपा के कद्दावर नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्धकी, भाजपा के पूर्व अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, पूर्व सांसद उमा भारती बुंदेलखंड की कर्म भूमि रही है। यह विडंबना है कि यहां न बड़े उद्योग-धंधे हैं, न बड़ी सिंचाई परियोजनाएं हैं। बुंदेलखंड उपेक्षा का शिकार भी रहा है।