सम्पादकीय

तालिबान राज में गहराते संकट

Subhi
18 Aug 2022 3:55 AM GMT
तालिबान राज में गहराते संकट
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अभी हालत यह है कि महिलाओं को महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है, क्योंकि इन विभागों का बजट विदेशी अनुदान से मिलता था, जो अब बंद हो चुका है। सबसे बुरी स्थिति तो यह है कि लड़कियों को माध्यमिक और उच्च शिक्षा से वंचित कर दिया गया है।

संजीव पांडेय; अभी हालत यह है कि महिलाओं को महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है, क्योंकि इन विभागों का बजट विदेशी अनुदान से मिलता था, जो अब बंद हो चुका है। सबसे बुरी स्थिति तो यह है कि लड़कियों को माध्यमिक और उच्च शिक्षा से वंचित कर दिया गया है। अफगानिस्तान में इस समय पैंतालीस फीसद से ज्यादा लड़कियां माध्यमिक शिक्षा से वंचित हो गई हैं।

हाल में अफगानिस्तान में तालिबान शासन का एक साल पूरा हो गया। अपने शासन की पहली वर्षगांठ को विजय दिवस के रूप में मनाते हुए काबुल में तालिबान लड़ाकों ने कहा कि उन्होंने विदेशी ताकतों से अफगानिस्तान को आजाद करवा कर एक बड़ी मंजिल हासिल की। पर इस खोखले विजय दिवस का स्याह पक्ष यह भी है कि तालिबान की वजह से ही इस वक्त अफगानिस्तान एक नहीं, कई संकटों से गुजर रहा है।

इनमें मानवीय संकट कहीं ज्यादा गंभीर हैं। देश भयानक सूखे का सामना कर रहा है। आबादी का बड़ा हिस्सा भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है। महिलाओं के सारे हक छीन लिए गए हैं। जो महिलाएं अधिकार बहाली की मांग कर रही हैं, उन्हें सरेआम पीटा जा रहा है और जेलों में बंद किया जा रहा है। महिलाओं के गायब होने के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। तालिबान के कठोर शासन के कारण फिर से लाखों लोग ईरान और पाकिस्तान में पनाह ले चुके हैं। एक बड़ा संकट यह भी कि तालिबान शासन के बावजूद अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढता जा रहा है।


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