सम्पादकीय

खतरनाक संगठन पीएफआइ को मिल रहा विभिन्न देशों से अनुचित तरीके से चंदा, कमर तोड़ने के लिए बेनकाब कर प्रतिबंधित करना जरूरी

Rani Sahu
23 Sep 2022 5:26 PM GMT
खतरनाक संगठन पीएफआइ को मिल रहा विभिन्न देशों से अनुचित तरीके से चंदा, कमर तोड़ने के लिए बेनकाब कर प्रतिबंधित करना जरूरी
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सोर्स- Jagran

अपनी संदिग्ध गतिविधियों के कारण एक लंबे समय से विभिन्न एजेंसियों के निशाने पर चल रहे संगठन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया यानी पीएफआइ के ठिकानों पर देशव्यापी छापों के बाद यह तथ्य सामने आने पर हैरानी नहीं कि उसे विभिन्न देशों से अनुचित तरीके से जो चंदा मिल रहा था, उसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा था। चिंता की बात केवल यह नहीं कि पीएफआइ विदेशी चंदे को स्थानीय चंदे के रूप में दर्शा रहा था, बल्कि यह भी है कि उसके तमाम सदस्य देशविरोधी गतिविधियों में शामिल दिख रहे थे। इसी कारण पिछले दिनों उसके सौ से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया गया।
यह संगठन कानून के शासन के साथ किस तरह शांति व्यवस्था के लिए खतरा बन चुका है, इसका प्रमाण अपने यहां पड़े छापों के विरोध में केरल में बुलाए गए बंद के दौरान की गई उसके लोगों की हिंसा से मिलता है। इस हिंसा से एक तरह स्वतः प्रमाणित हो गया कि इस संगठन के इरादे नेक नहीं। इस संगठन पर आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप न जाने कब से लग रहे हैं।
इसी कारण कई राज्य उस पर पाबंदी लगाने की संस्तुति कर चुके हैं। पीएफआइ अपना उद्देश्य कुछ भी बताए, यह किसी से छिपा नहीं कि उसकी गतिविधियां उसे कठघरे में खड़ा करती हैं। एक तथ्य यह भी है कि खुद केरल सरकार उच्च न्यायालय के समक्ष यह कह चुकी है कि पीएफआइ प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का बदला हुआ रूप है।
पीएफआइ पर जैसी अराजक और आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के गंभीर आरोप लगे हैं, उन्हें देखते हुए उसे प्रतिबंधित करने पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि वह लोकतांत्रिक तौर-तरीकों का सहारा लेकर लोकतंत्र को ही नष्ट करने का काम कर रहा है। पीएफआइ अपनी छात्र शाखा और राजनीतिक शाखा बनाकर जिस तरह देश के अधिकांश राज्यों में सक्रिय हो गया है, वह शुभ संकेत नहीं। इसलिए और नहीं, क्योंकि विभिन्न राज्यों में छोटे दल उसकी राजनीतिक शाखा के सहायक बन गए हैं। वास्तव में इसी कारण कई संगठन उसके समर्थन में बोल रहे हैं।
पीएफआइ की हरकतें यही बताती हैं कि वह एक ऐसी विष बेल है, जिसकी जड़ें काटने में देर नहीं की जानी चाहिए। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि पीएफआइ का हाथ न केवल नागरिकता संशोधन कानून विरोधी देशव्यापी हिंसा के साथ हिजाब के खिलाफ हुए अराजक प्रदर्शनों में दिखा, बल्कि अन्य ऐसी घटनाओं में भी, जिससे इस नतीजे पर पहुंचने के अलावा और कोई उपाय नहीं कि वह आतंकी संगठनों सरीखी विषाक्त विचारधारा से लैस है।
यह सही है कि आज के समय में ऐसे संगठन प्रतिबंधित किए जाने की स्थिति में नए नाम से नए सिरे से संगठित हो जाते हैं, लेकिन उनकी कमर तोड़ने के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें पूरी तरह बेनकाब कर प्रतिबंधित किया जाए।
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