सम्पादकीय

लोकतंत्र का संकट काल

Gulabi
24 Nov 2021 4:30 AM GMT
लोकतंत्र का संकट काल
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लोकतंत्र का संकट काल

अब ताजा ऐसी रिपोर्ट इंटरनेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस ने जारी की है। उसने कहा है कि ऐसे देशों की संख्या- जिनमें लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हैं, इस वक्त जितनी अधिक है, उतनी आधुनिक काल में पहले कभी नहीं रही। लोकतंत्र अपने गिरावट के दौर में है।


अभी एक दशक पहले तक यह मान कर चला जाता था कि उदार लोकतंत्र दुनिया की सर्व मान्य व्यवस्था है। जिन देशों में इसका अभाव था, उनके बारे में समझा जाता था कि देर-सबेर वहां भी ये व्यवस्था कायम हो जाएगी। लेकिन अब हाल यह है कि लोकतंत्र की सेहत की निगरानी करने वाली हर संस्था अपनी रिपोर्टों में यही बताती है कि लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। दुनिया में ऐसे देशों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जहां लोकतंत्र की जड़ें कमजोर हो रही हैं। अपने लिए दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि ऐसी तमाम रिपोर्टों में भारत का नाम भी उन्हीं देशों में शामिल होता है, जहां लोकतंत्र संकट में पड़ा हुआ है। अब ताजा ऐसी रिपोर्ट इंटरनेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस (आइडिया) ने जारी की है। उसने कहा है कि ऐसे देशों की संख्या जिनमें लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हैं, इस वक्त जितनी अधिक है, उतनी आधुनिक काल में पहले कभी नहीं रही। इसकी एक रिपोर्ट के मुताबिक आलोचकों को चुप करवाने के लिए कोविड-19 महामारी का इस्तेमाल, अलोकतांत्रिक तौर-तरीकों को अपनाने का चलन और समाज को बांटने के लिए फर्जी सूचनाओं का इस्तेमाल जैसे कारणों लोकतंत्र के लिए खतरा बढ़ गया है।

आइडिया ने 1975 से अब तक जमा किए गए आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है। अपनी रिपोर्ट में आइडिया ने सरकार और न्यायपालिका की आजादी के अलावा मानवाधिकार और मीडिया की आजादी जैसे मूल्यों को भी ध्यान रखा है। उसने कहा है कि 2021 में सबसे ज्यादा नाटकीय बदलाव अफगानिस्तान में देखा गया, जहां पश्चिमी सेनाओं के विदा होने से पहले ही तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। म्यांमार में हुए तख्तापलट के दौरान भी दुनिया ने लोकतंत्र को ढहते देखा। रिपोर्ट में भारत, ब्राजील और अमेरिका जैसे स्थापित लोकतंत्रों को लेकर भी चिंता जताई गई है। रिपोर्ट कहती है कि ब्राजील और अमेरिका में राष्ट्रपतियों ने ही देश के चुनावी नतीजों पर सवाल खड़े किए, जबकि भारत में सरकार की नीतियों की आलोचना करने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि 70 प्रतिशत आबादी आज ऐसे मुल्कों में रहती है, जहां या तो लोकतंत्र है ही नहीं, या फिर नाटकीय रूप से इसमें गिरावट आ रही है। स्पष्टतः यह चिंता की बात है। लेकिन इसका समाधान क्या है, यह बात संभवतः अब तक आई किसी रिपोर्ट में नहीं बताई गई है।

नया इण्डिया

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