सम्पादकीय

सियासत में अपराधी

Subhi
9 Aug 2022 4:44 AM GMT
सियासत में अपराधी
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राजनीति में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की बढ़ती पैठ को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जाती रही है। हर पार्टी जब सत्ता से बाहर होती है, तो ऐसे तत्त्वों को सत्ता से बाहर करने का बढ़-चढ़ कर दावा करती है।

Written by जनसत्ता: राजनीति में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की बढ़ती पैठ को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जाती रही है। हर पार्टी जब सत्ता से बाहर होती है, तो ऐसे तत्त्वों को सत्ता से बाहर करने का बढ़-चढ़ कर दावा करती है। मगर हकीकत यह है कि हर चुनाव के बाद आपराधिक छवि के प्रतिनिधियों की संख्या कुछ बढ़ी हुई ही दर्ज होती है। अब तो इस बात का भी खयाल नहीं रखा जाता कि जिन लोगों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं, उन्हें सरकार से दूर रखा जाए। उन्हें बेधड़क मंत्री तक बना दिया जाता है।

इसका नतीजा यह हुआ है कि आपराधिक छवि के लोगों की राजनीति में पैठ लगातार बढ़ती गई है। बल्कि अब तो यह भी प्रवृत्ति देखी जा रही है कि अपराध की दुनिया से राजनीति में प्रवेश करने की कोशिशें खूब फलीभूत हो रही हैं। इसलिए कि हर राजनीतिक दल ऐसे लोगों को संरक्षण देता है। इसी का नतीजा है कि नोएडा में एक बदमाश किस्म का भाजपा कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के कुछ बड़े नेताओं के करीब पहुंचा और उसने अच्छी-खासी हैसियत हासिल कर ली। उसे सरकार और प्रशासन के लोगों का लगातार संरक्षण मिलता रहा और उसका मनोबल इस कदर बढ़ता गया कि धौंस के बल पर उसे कुछ भी करने से गुरेज नहीं रहा।

सरकार और प्रशासन की नींद तब उड़ी जब उस बदमाश किस्म के नेता ने अपनी ही रिहाइशी कालोनी की एक महिला से बदसलूकी की। उस महिला ने उसकी करतूतों का वीडियो सार्वजनिक कर दिया और फिर बहुत सारे लोग उसके समर्थन में उतर आए। इसके बाद वह छुटभैया नेता फरार हो गया और उसे पकड़ने के लिए पुलिस की करीब एक दर्जन टुकड़ियां गठित कर दी गर्इं। भाजपा के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उसकी गिरफ्तारी न होने को लेकर पुलिस की तीखी आलोचना शुरू कर दी।

दरअसल, उस नेता ने अपने मकान के आसपास की जमीन पर अवैध कब्जा करना शुरू कर दिया था। इस पर उस हाउसिंग सोसाइटी के लोगों ने शिकायत भी दर्ज कराई थी, पर नेता के रसूख और धौंस के चलते प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। जब सोसाइटी की ही एक महिला ने उसे अवैध कब्जा करने से रोकने का प्रयास किया तो उस नेता ने उसे गालियां दीं और अभद्र व्यवहार किया। स्वाभाविक ही उस नेता के आचरण को लेकर लोगों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की आपराधिक तत्त्वों के खिलाफ सख्त नीति पर अंगुलियां उठानी शुरू कर दीं।

हालांकि किसी एक कार्यकर्ता या नेता के आचरण के चलते किसी पूरी सरकार या पार्टी को कठघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता, पर जिस तरह नोएडा के मामले में कुछ नेताओं, मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया सामने आया, उससे सरकार के कामकाज पर तो सवाल उठेंगे ही। जो सरकार और पार्टी यह दावा करते नहीं थकती कि उसने प्रदेश से गुंडों का सफाया कर दिया है, उसी की छत्रछाया में अगर ऐसे लोग पलते हों, जो न सिर्फ महिलाओं के प्रति अभद्र व्यवहार करते, बल्कि कई तरह के आपराधिक कृत्य करते हों। उनके आचरण के बारे में जानते हुए भी कुछ बड़े नेता और अधिकारी उन्हें संरक्षण देते हों, तो फिर गुंडागर्दी से समाज को निजात दिलाने का संकल्प भला कहां पूरा हुआ। अगर कोई पार्टी या सरकार अपने गुंडों को संरक्षण दे और दूसरे दलों के लोगों को जानबूझ कर निशाने पर रखे, तो उस पर सवाल तो उठेंगे ही।


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