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वर्तमान में मनोरंजन प्रस्तुत करने के लिए अनेक मंच उपलब्ध हैं। सबसे बड़ा परिवर्तन यह हुआ है
जयप्रकाश चौकसे। वर्तमान में मनोरंजन प्रस्तुत करने के लिए अनेक मंच उपलब्ध हैं। सबसे बड़ा परिवर्तन यह हुआ है कि सिनेमा जगत के कई सितारे भी नए मंच से जुड़ रहे हैं। सोनाक्षी सिन्हा रीमा कागती की लिखी पटकथा में पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका करने जा रही हैं तो प्रियंका चोपड़ा स्पाई थ्रिलर अभिनीत कर रही हैं । 'सास-बहू' सीरियल बनाने के लिए प्रसिद्ध एकता कपूर का कहना है कि अब वे नई कहानियों की खोज पर ध्यान दे रही हैं। गोया की आज मनोरंजन गढ़ने के लिए पूंजी की समस्या नहीं है।
आज आवश्यकता कथा की है। बहरहाल, मनुष्य की सृजन क्षमता का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। कहते हैं कि सारा ब्रह्मांड ही मानव कल्पना का छोटा सा हिस्सा है। हमारे ग्रंथों से प्रेरित फिल्में और सीरियल बार-बार बनाए गए हैं परंतु इन ग्रंथों की नई व्याख्याएं आज भी की जा सकती है। खाकसार की पाखी में प्रकाशित 'कुरुक्षेत्र की कराह' में यह आकल्पन है कि युद्ध के अनेक वर्ष बाद वेदव्यास, मां गंगा से प्रार्थना करते हैं कि तमाम कौरव और पांडव जैसे वीरों को गंगा तट पर अवतरित होने का आशीर्वाद दें ताकि सब ये विचार कर सकें कि क्या वह युद्ध आवश्ययक था? श्री कृष्ण के प्रयास क्यों निष्फल हो गए?
सारे पात्र गंगा तट पर पुन: अवतरित होकर विचार करते हुए एक-दूसरे से लड़ने-झगड़ने लगते हैं। वेदव्यास, मां गंगा से प्रार्थना करते हैं कि इन्हें वापस बुला लें। श्री गणेश, वेदव्यास को स्पष्ट करते हैं कि तर्क सम्मत विचार के लोप होने से युद्ध होते हैं और बाजार की ताकतें हमेशा ऐसे ही अवसर खोजती हैं। युद्ध पूर्व ही उद्योगपतियों ने शस्त्रों का निर्माण कर लिया था, घोड़ों का आयात किया जा चुका था, रथ भी बना लिए गए थे।
यह विचारणीय है कि युद्ध से अपार लाभ कमाने वाले उद्योगपतियों का बाद में क्या हुआ? सोना चबाया नहीं जा सकता, चांदी का घोल पिया नहीं जा सकता। जल, वायु और अनाज का कोई विकल्प नहीं है। सारा मामला मानव मस्तिष्क और विचार प्रक्रिया से जुड़ा है। विचार करें कि 'प्यासा' जैसी फिल्म बनाने वाले गुरुदत्त 'अलीबाबा और चालीस चोर' बनाना चाहते थे। वे 'अरेबियन नाइट्स' की नई व्याख्या करते और तत्कालीन समाज की विसंगतियों और विरोधाभास पर प्रकाश डालना चाहते थे।
आज कथा की खोज के लिए अपनी प्राचीन पुस्तकों की तर्क-सम्मत व्याख्या की जा सकती है और कंप्यूटर शासित भविष्य की कथाओं की कल्पना की जा सकती है। दशकों पूर्व इस विषय पर 'द मेट्रिक्स' श्रृंखला बनी थी। आज ऐसी कथाएं पुन:रची जा सकती हैं। जीवन से आडंबर और पाखंड मुक्ति की राह में कथाएं फैली हुई हैं। जितना आपके आंचल में समाए, उतना आप उठा सकते हैं। कथा क्षेत्र में गरीबी हमारा पलायन और आलस्य है। कथा सागर में नित नई लहरें उठती रहती हैं।
इन्हें पढ़ना आना इस पर निर्भर करता है कि आपने अपने मस्तिष्क की खिड़की खुली छोड़ी है या सारे द्वार, खिड़कियां आप बंद कर चुके हैं। सृजन संसार का नियम है कि आप जितना खर्च करेंगे उससे अधिक वापस आ जाता है। अकिरा कुरोसावा की फिल्म 'सेवन समुराई' से प्रेरित दर्जनों फिल्में बनी हैं परंतु फिल्म का सार आज तक अभिव्यक्त नहीं हुआ। सात योद्धाओं में से एक ने प्रेम किया। शत्रुओं के मारे जाने के बाद वह अपनी प्रेमिका से साथ चलने को कहता है। प्रेमिका यह कहकर भाग जाती है कि वर्षा हो रही है, फसल बोने का समय है।
सारांश यह है कि आम आदमी संकट समाप्त होते ही फिर अपने असली रूप में आ जाता है। संकट के समय ही प्रार्थना की जाती है। खुशी एक नशा है, खुमार उतरने में समय लगता है। हर शहर, मोहल्ला, मकान एक कथा है। कथा वाचक ऊंघने लगता है, श्रोता हमेशा जागता रहता है। अनंत कथा सागर के किनारे बैठकर सीपियों से संतुष्ट न होवें। कुछ न हो तो रेत का घरौंदा ही बनाइए।
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