सम्पादकीय

कोरोना महामारी का साझापन

Rani Sahu
30 Dec 2021 7:08 PM GMT
कोरोना महामारी का साझापन
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सूर्योदय नई गति, नए स्पंदन, नए उजालों और नई ऊर्जा-आशा का प्रतीक है

सूर्यास्त होता है, तो सूर्योदय भी तय है। सूर्योदय नई गति, नए स्पंदन, नए उजालों और नई ऊर्जा-आशा का प्रतीक है। सूर्यास्त वह है, जो बीत गया, अतीत हो गया। हम उसे इतिहास भी कह सकते हैं, लेकिन 2021 के सूर्यास्त और नववर्ष 2022 के सूर्योदय में एक साझापन है-कोरोना महामारी। बीता साल इसकी गिरफ्त में बीता। बेहद तकलीफदेह रहा। कई यंत्रणाओं से आम आदमी को गुज़रना पड़ा। सड़कों पर लाशें देखीं। नदी-नालों में अनजले शव देखे। अस्पताल में प्राण-वायु नसीब नहीं हुई, तो तड़प-तड़प कर कइयों ने जान दे दी। यह देश की राजधानी दिल्ली के बड़े अस्पतालों का विदू्रप यथार्थ था। शायद महामारी होती ही ऐसी है! हमने तो जीवन में पहली बार देखी और महसूस की। उसके शिकार भी हुए। करीब एक सदी पहले प्लेग फैला था। तब ऐसी बीमारियों के इलाज नहीं थे। लोग उसे प्रकृति का कोप मानते थे। प्लेग महामारी में करोड़ों ने अपने प्राण गंवाए। वह दौर आज इतिहास है। उसके यथार्थ का दंश आज नहीं चुभता, लेकिन कोरोना वायरस अब भी हमारे बीच है। चौतरफा प्रहार किए हैं इसने। इनसान के घर और भोजन छीने हैं। करोड़ों नौकरियां और रोज़गार गए हैं।

अब भी औसत बेरोज़गारी दर 7 फीसदी से ज्यादा है। आठ राज्यों में तो 10 फीसदी से अधिक है। देश की करीब 97 फीसदी आबादी की आय घटी है। मध्यवर्ग गरीब होता गया है और गरीब गरीबी-रेखा के नीचे सरकने को विवश है। देश में करीब 35 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो गरीबी-रेखा के नीचे हैं। कल्पना करें कि यदि भारत सरकार 80 करोड़ से अधिक लोगों को लगातार मुफ़्त अनाज नहीं बांटती, तो हम भुखमरी की गिरफ्त में आ सकते थे। देश की औसत अर्थव्यवस्था ऐसी बिगड़ी कि अभी उबरना शुरू ही किया था कि कोरोना संक्रमण ने फिर आक्रमण कर दिया है। अब वायरस के दो स्वरूपों का एक साथ हमला हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 'संक्रमण की सुनामी' की आशंका जताते हुए दुनिया को सचेत करने का प्रयास किया है। हम निराशावादी नहीं हैं, लेकिन सामने अंधेरे और अंधड़ हैं, तो उनसे आंख भी नहीं मींच सकते। ओमिक्रॉन स्वरूप अभी उतना प्राणघातक नहीं है, बेशक 23 राज्यों तक फैल चुका है और संक्रमण के आंकड़े 1000 को छू रहे हैं। मृत्यु-दर फिलहाल चिंताजनक नहीं है। जिस कोरोना को हमने 'पीक' के बाद समाप्त मान लिया था, उसी डेल्टा के 13,000 से ज्यादा संक्रमित केस एक ही दिन में दर्ज किए गए हैं।
यह बीते दिन से 44 फीसदी ज्यादा की बढ़ोतरी है। बीती 27 दिसंबर को 6242 केस थे, लेकिन बुधवार 29 दिसंबर की देर रात तक 13,155 केस दर्ज किए गए। यह बढ़ोतरी वैश्विक महामारी के अभी तक के पूरे दौर में पहले कभी नहीं देखी गई। सबसे अधिक करीब 3900 केस महाराष्ट्र में हैं, फिर 2846 केस केरल और 1089 केस पश्चिम बंगाल में सामने आए हैं। जो आंकड़े दर्ज नहीं किए जा सके, उनकी संक्रामकता का अनुमान ही लगाया जा सकता है। राजधानी दिल्ली में कोरोना के एक ही दिन में 923 केस दर्ज किए गए हैं। 30 मई के बाद एक ही दिन में इतनी बढ़ोतरी पहली बार देखी गई है। ओमिक्रॉन संक्रमण भी साथ-साथ जारी है। नए साल के लिए महामारी का स्पष्ट संदेश है। फिर भी हम हौसला रखे हैं कि यह लड़ाई भी जीत लेंगे। महामारी के दौरान ही हमारे खिलाडि़यों ने अंतरराष्ट्रीय और ओलंपिक स्तर पर नई उपलब्धियां हासिल की और पदक जीते हैं। नीरज चोपड़ा का ओलंपिक में भाला फेंक मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीतना ऐतिहासिक पल था। हाल ही में किदांबी श्रीकांत का बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल करना भी बेहद गौरवपूर्ण क्षण था। महिलाओं में पीवी सिंधु इस प्रतियोगिता तक विश्व चैंपियन रहीं। ऐसी तमाम उपलब्धियां कोरोना महामारी के बावजूद बटोरी गईं। हमने बहुत कुछ खोया भी है, लेकिन नए साल में जोश के साथ प्रवेश करना होगा। सभी को मंगल कामनाएं।

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