- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- कोरोना महामारी का...
सूर्यास्त होता है, तो सूर्योदय भी तय है। सूर्योदय नई गति, नए स्पंदन, नए उजालों और नई ऊर्जा-आशा का प्रतीक है। सूर्यास्त वह है, जो बीत गया, अतीत हो गया। हम उसे इतिहास भी कह सकते हैं, लेकिन 2021 के सूर्यास्त और नववर्ष 2022 के सूर्योदय में एक साझापन है-कोरोना महामारी। बीता साल इसकी गिरफ्त में बीता। बेहद तकलीफदेह रहा। कई यंत्रणाओं से आम आदमी को गुज़रना पड़ा। सड़कों पर लाशें देखीं। नदी-नालों में अनजले शव देखे। अस्पताल में प्राण-वायु नसीब नहीं हुई, तो तड़प-तड़प कर कइयों ने जान दे दी। यह देश की राजधानी दिल्ली के बड़े अस्पतालों का विदू्रप यथार्थ था। शायद महामारी होती ही ऐसी है! हमने तो जीवन में पहली बार देखी और महसूस की। उसके शिकार भी हुए। करीब एक सदी पहले प्लेग फैला था। तब ऐसी बीमारियों के इलाज नहीं थे। लोग उसे प्रकृति का कोप मानते थे। प्लेग महामारी में करोड़ों ने अपने प्राण गंवाए। वह दौर आज इतिहास है। उसके यथार्थ का दंश आज नहीं चुभता, लेकिन कोरोना वायरस अब भी हमारे बीच है। चौतरफा प्रहार किए हैं इसने। इनसान के घर और भोजन छीने हैं। करोड़ों नौकरियां और रोज़गार गए हैं।
divyahimachal