सम्पादकीय

कांग्रेस का भविष्य, क्‍या पार्टी अध्‍यक्ष के चुनाव से बदलेगी इसकी सूरत और सेहत

Rani Sahu
28 Aug 2022 5:07 PM GMT
कांग्रेस का भविष्य, क्‍या पार्टी अध्‍यक्ष के चुनाव से बदलेगी इसकी सूरत और सेहत
x
सोर्स- Jagran
आखिरकार कांग्रेस ने यह तय कर लिया कि 17 अक्टूबर को वह अपने नए अध्यक्ष का चुनाव करेगी, लेकिन इसके आसार कम ही हैं कि यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी की सूरत और सेहत में कोई बुनियादी बदलाव आने वाला है। फिलहाल यह अनुमान लगाना कठिन है कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन होगा, लेकिन पार्टी के कई नेता जिस तरह राहुल गांधी को ही फिर से अध्यक्ष बनाने की मुहिम छेड़े हुए हैं और यहां तक कह रहे हैं कि वह उन्हें पार्टी की बागडोर संभालने के लिए बाध्य करेंगे, उसे देखते हुए आश्चर्य नहीं कि ऐसा ही हो।
चूंकि जुलाई 2019 में जब राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद छोड़ा था तो यह कहा था कि अब नया अध्यक्ष परिवार से बाहर का होगा तो एक संभावना यह भी है कि वह अध्यक्ष पद का चुनाव लडऩे से मना कर दें। यदि ऐसा कुछ होता है तो फिर कोई कठपुतली नेता कांग्रेस की कमान संभाल सकता है। इसके आसार इसलिए हैं, क्योंकि गांधी परिवार पार्टी पर अपनी पकड़ छोड़ने के लिए तैयार नहीं। इसी कारण बीते तीन साल से राहुल गांधी पर्दे के पीछे से पार्टी चलाते रहे। इसमें यदि किसी का योगदान रहा तो सोनिया और प्रियंका गांधी के साथ दरबारी प्रवृत्ति वाले कांग्रेसी नेताओं का।
कांग्रेस में एक लंबे अर्से से और विशेष रूप से इंदिरा गांधी के बाद से गांधी परिवार का ही वर्चस्व रहा है। यदा-कदा जब परिवार से बाहर का कोई नेता अध्यक्ष बना तो या तो उसने कठपुतली की तरह काम किया या फिर उसे धकिया दिया गया। समस्या केवल यह नहीं है कि गांधी परिवार ने कांग्रेस को अपनी निजी जागीर में तब्दील कर लिया है, बल्कि यह भी है कि तमाम कांग्रेसी नेता यह जानते हुए भी परिवार की चापलूसी करते हैं कि अब वह पार्टी की ताकत नहीं, कमजोरी बन गया है।
कांग्रेस की दुर्गति का कारण केवल यह नहीं है कि वह परिवार का पर्याय बन गई है, बल्कि यह भी है कि उसके पास अपनी कोई विचारधारा नहीं रह गई है। उसके पास न तो जनता को आकर्षित करने वाली कोई नीति है और न ही विचार। इसी कारण वह रसातल में जा रही है। कांग्रेस का नया अध्यक्ष कोई भी बने, उसमें ऊर्जा और उत्साह का संचार होने की संभावना क्षीण ही है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कांग्रेस जितनी पुरानी पार्टी है, रीति-नीति की दृष्टि से उतनी ही प्रभावहीन और दिशाहीन भी है। इसका पता इससे चलता है कि वह अपनी भारत जोड़ो यात्रा में ऐसे संदिग्ध किस्म के गैर सरकारी संगठनों का सहयोग लेने के लिए तैयार है जिनकी एकमात्र विशेषता प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा का अंध विरोध करना है।
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story