सम्पादकीय

कांग्रेस कितनी चीजों के लिए जिम्मेदार?

Gulabi
3 Nov 2021 1:35 PM GMT
कांग्रेस कितनी चीजों के लिए जिम्मेदार?
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दुनिया भर की मीडिया को भारत को बदनाम करने के लिए तैयार किया

Congress Party Rahul Gandhi ऐसा लग रहा है कि देश की सबसे जिम्मेदार पार्टी कांग्रेस है। हर चीज के लिए वहीं जिम्मेदार है। केंद्र सरकार के बनाए तीनों कृषि कानूनों के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है और किसानों के आंदोलन के लिए भी कांग्रेस ही जिम्मेदार है। वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है और अगर उसके अमल में कोई दिक्कत आ रही है तो उसके लिए भी कांग्रेस ही जिम्मेदार है। आर्थिक मंदी और महंगाई के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है और अगर केंद्र सरकार महंगाई नहीं रोक पा रही है तो उसके लिए भी कांग्रेस ही जिम्मेदार है। देश के नागरिकों और विपक्षी पार्टियों की जासूसी के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है क्योंकि वह 'जासूसी का जेम्स बांड है' और इसलिए पेगासस भी उसी की जिम्मेदारी बनती है।


पूर्वोत्तर के राज्यों के सीमा विवाद के लिए ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस जिम्मेदार है और असम-मिजोरम के बीच पिछले हफ्ते हुई हिंसक झड़प के लिए भी कांग्रेस ही जिम्मेदार है। राफेल सौदे के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है और अगर उसमें किसी किस्म की गड़बड़ी हुई है तो उसके लिए भी कांग्रेस ही जिम्मेदार है। इसी तरह देश की सबसे साजिशी पार्टी भी कांग्रेस है। किसान आंदोलन की साजिश कांग्रेस ने रची है और उसने ही टूलकिट बनवा कर दुनिया भर में भारत को बदनाम किया। पेगासस की जासूसी की साजिश कांग्रेस ने रची है और उसने ही दुनिया भर की मीडिया को भारत को बदनाम करने के लिए तैयार किया।

राफेल का मामला तो पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी की साजिश है! असम और मिजोरम में हुई हिंसा की साजिश भी कांग्रेस ने रची है और जैसा कि पूर्वोत्तर के सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिल कर कहा कि कांग्रेस समूचे पूर्वोत्तर को हिंसा की आग में झोंकना चाहती है। महंगाई भी कांग्रेस की साजिश का ही नतीजा है और उसी की वजह से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं और उसकी वजह से ही महंगाई काबू में नहीं आ रही है। कांग्रेस को इतनी चीजों के लिए जिम्मेदार और इतनी तरह की साजिश रचने का आरोपी भाजपा के नेता बना रहे हैं। एक-एक करके देखें तो बहुत दिलचस्प बातें सामने आएंगी। जैसे असम-मिजोरम सीमा विवाद को ही लें। दोनों राज्यों की सीमा पर हिंसक झड़प हुई, जिसमें असम पुलिस के पांच जवान और एक नागरिक की मौत हुई।

इसके बाद पूर्वोत्तर से भाजपा के सभी सांसदों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और कहा कि विदेशी ताकतें साजिश रच रही हैं और कांग्रेस हिंसा को बढ़ावा दे रही है। एक केंद्रीय मंत्री ने यह बात कही। दिलचस्प बात यह है कि हिंसा के मामले में मिजोरम ने असम के मुख्यमंत्री पर मुकदमा किया और असम ने मिजोरम के सांसद पर मुकदमा किया। सोचें, साजिश और उकसावा कांग्रेस का है लेकिन कांग्रेस नेताओं पर मुकदमा नहीं किया गया। दोनों सरकारों ने एक-दूसरे के मुख्यमंत्री, सांसद और अधिकारियों पर मुकदमा किया, जिसे बड़ी मान-मनौव्वल के बाद वापस कराया गया है। मध्य प्रदेश के एक मंत्री ने और कमाल किया। पढ़े-लिखे और पढ़ाई-लिखाई वाले विभाग के मंत्री ने प्रेस के सामने कहा कि देश की महंगाई के लिए 15 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर से दिया गया पंडित नेहरू का भाषण जिम्मेदार है।

उन्होंने बहुत विस्तार से अर्थव्यवस्था और महंगाई के बारे में समझाया और कहा कि महंगाई एक-दो दिन में नहीं बढ़ती है और न अर्थव्यवस्था एक-दो दिन में बनती है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से जो भाषण दिया उसी से अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी है और महंगाई बढ़ी है। सोचें, केंद्र में भाजपा की सरकार का आठवां साल चल रहा है और महंगाई के लिए 15 अगस्त 1947 के भाषण को जिम्मेदार बताया जा रहा है! लच्छेदार तुकबंदी करने और जुमले गढ़ने में माहिर एक केंद्रीय मंत्री ने कहा 'कांग्रेस जासूसी का जेम्स बांड है'। सवाल है कि इसका क्या मतलब निकाला जाए? कांग्रेस सरकार में रहते हुए जासूसी कराती थी, अगर यह बात सही भी है तो इससे पेगासस जासूसी मामले पर क्या असर पड़ता है?

क्या मंत्री महोदय कहना चाहते थे कि कांग्रेस जासूसी कराती थी इसलिए हम भी करा रहे थे या यह कि कांग्रेस जेम्स बांड है इसलिए इस बार भी वहीं जासूसी करा रही थी? अभी ताजा ताजा सरकार में शामिल हुईं एक महिला राज्यमंत्री और संसदीय मामलों के एक मंत्री ने तो जासूसी के पूरे मामले को खारिज कर दिया है। सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के कई नेताओं ने कहा है कि विदेशी ताकतों से मिल कर कांग्रेस ने देश को बदनाम करने की साजिश रची है। जब सरकार को साजिश के बारे में पता है तो वह जांच करा कर क्यों नहीं कांग्रेस पर मुकदमा दर्ज करा रही है, यह भी हैरान करने वाली बात है!

केंद्र सरकार के मंत्री और सत्तारूढ़ दल के नेता देश की हर समस्या के लिए कांग्रेस पर ठीकरा फोड़ रहे हैं और विपक्ष के निशाने पर आए सरकार के नीतिगत फैसलों के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बता रहे हैं। आधार से लेकर जीएसटी और कृषि कानूनों तक का श्रेय भाजपा ने कांग्रेस को दिया है। कांग्रेस के विरोध की धार भोथरी करने के लिए भाजपा ने कहा है कि ये नीतियां पहले कांग्रेस ने ही बनाई थीं। भाजपा को ऐसा लग रहा है कि इससे वह कांग्रेस को बदनाम कर रही है। लेकिन क्या सचमुच ऐसा है? इसके उलट हर चीज के साथ किसी न किसी तरह से कांग्रेस को जोड़ कर भाजपा ने उसे प्रासंगिक बनाए रखा है।
अपने हर अच्छे काम की शुरुआत करने का श्रेय कांग्रेस को देकर भाजपा लोगों की नजर में यह साबित कर रही है कि नीतिगत मामलों में कांग्रेस की सोच अच्छी रही है, कांग्रेस दूरदर्शी पार्टी रही है और उसकी सरकार के समय अच्छी नीतियों की रूप-रेखा बनी थी। ऐसे ही हर विरोध-प्रदर्शन, आंदोलन आदि के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा कर भाजपा अपने आप यह मैसेज बनवा रही है कि कांग्रेस न कमजोर हुई है और न खत्म हुई है। इससे कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का भाजपा का अपना ही नैरेटिव कमजोर पड़ रहा है। दूसरे, इस तरह हर चीज के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बता कर सरकार और सत्तारूढ़ दल दोनों उसे सरकारी प्रचार का विक्टिम बना रहे हैं।
वह तो भला हो भाजपा का कि कांग्रेस अभी तक विक्टिम कार्ड सही तरीके से नहीं खेल पा रही है। अगर उसे अरविंद केजरीवाल की तरह विक्टिम कार्ड प्ले करना आता तो वह अब तक कमाल कर चुकी होती। ध्यान रहे भारत में और दुनिया के दूसरे देशों में भी आम लोगों की सहानुभूति हमेशा विक्टिम के साथ होती है। वे ताकतवर का साथ नहीं देते हैं, वे पीड़ित पक्ष के साथ होते हैं। 2014 से पहले आम लोगों की सहानुभूति नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ इसी वजह से थी क्योंकि उनको लग रहा था कि केंद्र की कांग्रेस सरकार उनको प्रताड़ित कर रही है। आज कांग्रेस के बारे में वैसी ही धारणा खुद भाजपा और उसकी सरकार बनवा रही है। कांग्रेस को बदनाम करना और हर खराबी के लिए उसको जिम्मेदार ठहराना भाजपा की रणनीति हो सकती है लेकिन यह काम बहुत भोंड़े ढंग से किया जा रहा है।

किसी ऐतिहासिक गलती के लिए तो कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है लेकिन किसी तात्कालिक समस्या के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराना भाजपा और उसकी सरकार को हास्यास्पद बना रहा है। पूर्वोत्तर में सीमा विवाद के लिए ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस जिम्मेदार है लेकिन केंद्र और पूर्वोत्तर के लगभग सभी राज्यों में भाजपा या उसकी सहयोगी पार्टियों की सरकार होने के बावजूद अगर हिंसा भड़कती है तो उसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराना अच्छी रणनीति नहीं कही जाएगी। इसी तरह महंगाई के लिए कांग्रेस और उसमें भी नेहरू को जिम्मेदार ठहराना अंततः आम लोगों की नजर में भाजपा को मजाक का पात्र बनाएगा। इससे आम लोगों के जख्मों पर मल्हम लगाए जाने का नहीं, बल्कि नमक छिड़ने जाने का अहसास होगा।
नया इण्डिया
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