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- कांग्रेस-मुक्त की...
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के राष्ट्रीय जनादेश के बाद 'कांग्रेस-मुक्त भारत' का जो आख्यान गढ़ा था, वह फिजूल राजनीति नहीं थी। यह हम भी मानते रहे हैं कि देश से कांग्रेस का नाम साफ नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री मोदी का मंतव्य भी यही था कि देश कांग्रेस को 'अस्वीकार' करने लगेगा। हकीकतन आज वही परिदृश्य सामने है। मौजूदा जनादेश में कांग्रेस की उपस्थिति नगण्य है। उसने पंजाब में सरकार खोई है और जनता ने उसे बुरी तरह खारिज किया है। जिस पार्टी का मुख्यमंत्री दोनों सीटों पर पराजित हो जाए और प्रदेश अध्यक्ष भी एक नौसीखिया चेहरे से हार जाए, उस पार्टी की स्वीकार्यता पर क्या टिप्पणी करेंगे? कांग्रेस का देश के सबसे बड़े राज्य उप्र में सूपड़ा साफ हो गया। कुल 403 सीटों में से मात्र 2 सीटें ही कांग्रेस को नसीब हुईं। प्रियंका गांधी वाड्रा ने 'लड़की के लड़ने' का आह्वान करते हुए 144 महिलाओं को चुनाव-मैदान में उतारा था। मात्र एक महिला ही जीत पाई। अधिकतर की जमानत जब्त हो गई। यकीनन कांग्रेस का यह नारा मौलिक और प्रयोगवादी था। प्रियंका उप्र की आधी आबादी को कांग्रेस के बैनर तले लामबंद करना चाहती थी और एक नई राजनीति का सूत्रपात करना चाहती थी, लेकिन आधी आबादी की पहली पसंद प्रधानमंत्री मोदी ही रहे। कांग्रेस में अक्सर चर्चा चलती रहती थी कि प्रियंका अपनी दादी दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसी दिखती हैं।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल