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- जनसंख्या को लेकर...
आदित्य चोपड़ा | भारत में जनसंख्या वृद्धि का मुकाबला करने के लिए जिस तरह के उपाय कुछ राज्य सरकारें कर रही हैं उन्हें न तो तर्कसंगत कहा जा सकता है और न ही संवैधानिक कसौटी पर खरा उतारा जा सकता है। बेशक जनसंख्या वृद्धि वर्तमान में एक चुनौती है मगर यह एेसी प्राकृतिक प्रक्रिया है जो बदलते समय के अनुसार परिवर्तित भी होती रहती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण चीन है। इसकी जनसंख्या पूरे विश्व में आज सर्वाधिक है परन्तु इसके बावजूद इसने हाल ही में अपने देश के दम्पतियों को दो से अधिक तीन बच्चे करने की अनुमति दी है। चीन एक कम्युनिस्ट व सर्वसत्तावादी देश है जिसमें शासन का हस्तक्षेप नागरिकों के जीवन के हर पहलू में रहता है और सरकार ही लोगों की जीवनशैली तक तय करती है। जबकि भारत एक एेसा लोकतन्त्र है जिसमें हर स्तर पर लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार या शासन काम करता है। इस शासन का कार्य जन अपेक्षाएं पूरी करना होता है जबकि सर्वसत्तावादी शासन में लोग सरकार की अपेक्षाओं को पूरा करते हैं। इस बुनियादी फर्क को हमें समझना चाहिए और तब कोई भी नीति तैयार करनी चाहिए।