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- श्वेत पत्र के जरिये...
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोविड-19 पर श्वेत पत्र जारी करते हुए कल जो बातें कहीं, उनके अपने राजनीतिक निहितार्थ हो सकते हैं, लेकिन कुछ बिंदुओं को महज राजनीति कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। यह एक कटु तथ्य है कि महामारी की पहली लहर में देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान उठाना पड़ा, और सरकार के तमाम इंतजामों के बावजूद गरीबों की जिंदगी मुश्किल हुई, इसलिए दूसरी लहर की आशंकाओं व चेतावनियों के प्रति जैसी संजीदगी की अपेक्षा केंद्र और राज्य सरकारों से की जा रही थी, उसे बरतने में उनसे चूक हुई, जबकि उनके सामने यूरोप के कई देशों के उदाहरण थे, जहां सर्दियों में ही दूसरी लहर आ गई थी। अपने पुराने त्रासद अनुभव से सबक लेते हुए उन्होंने दूसरी लहर में बेहतर प्रबंधन के जरिये नुकसान को काफी हद तक रोक लिया। इटली इसका बड़ा उदाहरण है। इसके विपरीत दूसरी लहर के दौरान भारत में एक वक्त हमने तंत्र को बिल्कुल असहाय पाया। निस्संदेह, भारत की विशाल आबादी बड़ी चुनौती थी, लेकिन यह आबादी न तो रातोंरात पैदा हुई थी और न ही सरकारें महामारी की भयावहता से अनभिज्ञ थीं।