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- वायरस के बदलते रूप से...

पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय के स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ और पेन स्टेट के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में एम-आरएनए वैक्सीन का एक नया प्रकार विकसित किया गया है, जिसे 'ट्रांस-एमप्लीफाइंग एम-आरएनए प्लेटफार्म' नाम दिया गया है। एमआरएनए वैक्सीन का यह नया स्वरूप लगातार उत्परिवर्तित (म्यूटेट) होने वाले वायरसों- जैसे सार्स- सीओवी - 2 और एवियन इन्फ्लूएंजा ए (एचएन1 ) के लिए अधिक प्रभावी है। हालांकि वर्तमान एम-आरएनए वैक्सीन, जैसे कि कोविड- 19 को रोकने के लिए प्रयोग किए जाने वाले, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करने में अत्यधिक प्रभावी हैं, लेकिन ये दो महत्वपूर्ण चुनौतियां प्रस्तुत करते है- इनके उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में एम-आरएनए की जरूरत होती और वायरस के निरंतर भेष बदलने की प्रकृति । शोधपत्र के वरिष्ठ लेखक सुरेश कुचिपुडी के मुताबिक, "वायरस बदलता रहता है, जिससे लक्ष्य भी बदलता है, और वैक्सीन को अद्यतन करने में समय लग जाता है।" यही वह बिंदु है जहां नई ट्रांस- एंप्लीफाइंग तकनीक वायरस का खेल बिगाड़ सकती है।
नई वैक्सीन तकनीक दो अलग- अलग एम-आरएनए अणुओं का प्रयोग करती है- रेप्लिकेस अनुक्रम और एंटीजन अनुक्रम। जहां रेप्लिकेस अनुक्रम एम-आरएनए अणु वायरस प्राप्त एक एंजाइम को कोड करता है जो कोशिका के अंदर एम-आरएनए की प्रतिलिपि बनाता है, जिससे एंटीजन उत्पादन बढ़ता है। वहीं एंटीजन अनुक्रम एम-आरएनए अणु वायरस के स्पाइक प्रोटीन जैसे संरचनात्मक प्रोटीन को कोड करता है, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि रेप्लिकेस अनुक्रम को पहले से तैयार रखा जा सकता है। जब भी किसी नए वायरस के विरुद्ध वैक्सीन विकसित करनी हो, तो शोधकर्ताओं को केवल नया एंटीजन जोड़ना होगा, जिससे उत्पादन लागत और समय में भारी बचत आएगी।
शोधकर्ताओं ने सार्स- सीओवी - 2 के सभी प्रमुख वैरिएंट्स के स्पाइक प्रोटीन का विश्लेषण कर एक साझा संरचना निकाली, जिसे "कंसेंसस स्पाइक प्रोटीन" कहा जाता है। यही तकनीक इस नई वैक्सीन का आधार बनी। इस नई वैक्सीन के निर्माण में एम-आरएनए की मात्रा पारंपरिक वैक्सीनों की अपेक्षा 40 गुना कम लगती है। इससे लागत में कमी आती है। बड़े पैमाने पर उत्पादन सरल होता है। इसकी व्यापक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण बार-बार बूस्टर डोज की जरूरत भी कम हो सकती है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि भविष्य में इस कम लागत और व्यापक सुरक्षा वाले एंटीजन डिजाइन के सिद्धांतों पर आधारित वैक्सीन को बर्ड फ्लू जैसी अन्य जटिल चुनौतियों पर लागू किया जा सकेगा।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब
