सम्पादकीय

चीन का ‘आतंकी’ वीटो

Rani Sahu
22 Jun 2023 7:05 PM GMT
चीन का ‘आतंकी’ वीटो
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By: divyahimachal
चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बार फिर ‘वीटो पॉवर’ का दुरुपयोग किया है। अब तो वह आदी हो गया है कि जब भी पाकिस्तान के किसी आतंकवादी को ‘वैश्विक आतंकी’ घोषित करने का प्रस्ताव आता है, तो चीन ‘वीटो’ के जरिए उसे ब्लॉक करवा देता है। ताजा मामला 26/11 मुंबई आतंकी हमले के ‘मास्टर माइंड’ साजिद मीर का है, जिसे ‘वैश्विक आतंकी’ की सूची में डालने का प्रस्ताव भारत और अमरीका का था। अमरीका ने तो उस पर 41 करोड़ रुपए का इनाम भी घोषित किया था। प्रस्ताव बीते साल सितंबर में रखा गया था, लेकिन चीन ने तकनीकी आधार पर उसे रुकवा दिया था। इस पर लगातार विचार किया गया और अब बीती 20 जून को सुरक्षा परिषद में यही प्रस्ताव दोबारा पेश किया गया था। चीन ने अपने ‘विशेषाधिकार’ का फिर दुरुपयोग किया। चीन ऐसा कर कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर रहा, लेकिन अपनी ‘विशेष शक्ति’ का नाजायज लोहा मनवाना चाहता है। बेशक पाकिस्तान चीन का ‘बंधक-सा’ देश है। पाकिस्तान पर चीन का कर्ज और दूसरी कृपाओं के बोझ इतने हैं कि वह बोल नहीं सकता। चीन ने सुरक्षा परिषद में जैश-ए-मुहम्मद आतंकी संगठन के सरगना मसूद अजहर को भी सालों तक बचाया था, उसकी पैरोकारी की थी, लेकिन उसे ‘वैश्विक आतंकी’ घोषित करने से चीन, अंतत:, बचा नहीं सका। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सिर्फ पांच देशों-अमरीका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन-को ही ‘वीटो पॉवर’ हासिल है। जिस मकसद से यह विशेष शक्ति दी गई थी, आज उसका ह्नास हो चुका है।
विश्व-व्यवस्था भी बदल चुकी है, लिहाजा बार-बार यह मांग दोहराई जाती है कि संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था में सुधार किया जाए और भारत, जापान, जर्मनी सरीखे ताकतवर, विवेकशील देशों को भी ‘स्थायी सदस्य’ बनाकर वीटो का विशेषाधिकार दिया जाए। हालांकि भारत ने 26/11 आतंकी हमले से जुड़ा एक ऑडियो सुना कर सुरक्षा परिषद में चीन और पाकिस्तान को बेनकाब किया है। ऑडियो में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी मुंबई में घुसे आतंकियों को निर्देश दे रहा था कि आसपास कोई भी हलचल दिखे, उन्हें तुरंत गोली मार दो।’ इसके अलावा, पाकिस्तानी-अमरीकी आतंकी डेविड हेडली को अमरीकी एजेंसी एफबीआई ने 2008 में शिकागो से पकड़ा था। उसने 2011 में अमरीकी अदालत में और 2016 में मुंबई की अदालत में गवाही देकर खुलासा किया था कि साजिद मीर और मेजर इकबाल, जिसे उसने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का अफसर बताया था, 26/11 हमले के ‘मुख्य साजिशकारों’ में शामिल थे। मीर एफबीआई की ‘मोस्ट वांटेड टेररिस्ट’ सूची में भी था। सुरक्षा परिषद के सामने ये तमाम सूचनाएं और साक्ष्य रखे गए हैं।
उसके बावजूद चीन ‘वीटो’ का दुरुपयोग कर प्रस्ताव को ब्लॉक कराता रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था पर सवाल है। ‘वीटो’ को नई विश्व-व्यवस्था में, नए सिरे से, परिभाषित किया जाना चाहिए। चीन उसमें भी रोड़े अटका सकता है, लेकिन अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन की बहुमती ‘वीटो ताकत’ संशोधन के पक्ष में आ सकती है। जाहिर है कि रूस और चीन की जोड़ी तो अलग ही रहेगी। चीन की इस भूमिका पर भी अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के बीच बातचीत होगी, तो चीन को भी आतंकवाद का पनाहगाह देश करार दिया जाए। जो देश पाकिस्तान की तरह आतंकियों का ‘कवच’ बनकर रहे, तो उसे ‘आतंकिस्तान’ ही कहना चाहिए। कूटनीति क्या कहती है, वह सब बेमानी है। जब चीन वीटो के जरिए आतंकियों को बचा रहा है, तो उसका माकूल जवाब दिया जाना चाहिए। चीन अपनी छवि को लेकर बाध्य हुआ था और 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद, मसूद अजहर के मामले में, उसे वीटो वापस लेनी पड़ी थी। अब साजिद मीर का मामला चीन ने तब ब्लॉक किया है, जब भारतीय प्रधानमंत्री राजकीय प्रवास पर अमरीका में हैं। चीन 2006 से पाकपरस्त आतंकियों की खातिर ‘वीटो पॉवर’ का दुरुपयोग करता आ रहा है।
Rani Sahu

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