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- आतंकवाद का समर्थक चीन
आदित्य चोपड़ा: समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन के एक दिन बाद ही चीन का भारत विरोधी रवैया देखने को मिला है। उसने साजिद मीर ग्लोबल टेररिस्ट की सूची में शामिल करने के मुद्दे पर वीटो कर दिया और प्रस्ताव को रोक दिया। इससे एक तरफ चीन और पाक की जुगलबंदी सामने आई तो दूसरी तरफ चीन का आतंकवाद समर्थक चेहरा सामने आया। साजिद मीर मुम्बई पर हुए 26/11 हमले का हैंडलर है। अमेरिका ने मीर को काली सूची में डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव रखा था और भारत ने इसका समर्थन किया था। अमेरिका ने पहले ही साजिद मीर के सिर पर 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। 26/11 हमले में 6 अमेरिकी भी मारे गए थे। इसलिए अमेरिका भी साजिद मीर को दबोचना चाहता है। पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे सूची में है और वह ग्रे सूची से निकलने के लिए छटपटा रहा है। इसीलिए वह आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की नौटंकी करता रहता है। पाकिस्तान में साजिद मीर को टैरर फंडिंग केस में 15 साल की सजा सुनाई है, लेकिन दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद की खेती करता है। वह आतंकवादियों को पालता पोसता है और भारत समेत अन्य देशों में खूनखराबा करने के लिए उनका इस्तेमाल करता है। पाकिस्तान के आतंकवादियों को लेकर चीन का दोहरा रवैया कोई नया नहीं है। एक तरफ अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर चीन आतंकवाद का विरोध करता है लेकिन पाकिस्तान के मामले में उसका साथ देता है। भारत लगातार पाकिस्तान और चीन को आगाह करता रहा है कि साझा सुरक्षा तभी सम्भव है जब सभी देश आतंकवाद जैसे साझा खतरों के खिलाफ एक साथ खड़े हों और दोहरे मापदंड न अपनाएं। चीन को सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। चीन सुरक्षा परिषद में वीटो पावर का दुरुपयोग कर रहा है। इससे पहले भी चीन ने पिछले माह जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के भाई और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के सरगना अब्दुल रुऊफ अजहर को ब्लैक लिस्ट करने के लिए अमेरिका समर्थित प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी थी। वह मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोिषत करने के प्रस्ताव में भी बाधित बना था। पाकिस्तान भी साजिद मीर को लेकर हमेशा झूठ बोलता रहा। पहले तो वह उसके देश में ही होने से इंकार कर रहा था, फिर उसको हिरासत में लेने की खबर आई। कई विरोधाभासी खबरों के बाद पाकिस्तान सच को दफन करने में लगा हुआ है। मसूद अजहर को लेकर भी पाकिस्तान लगातार दुनिया को गुमराह करता रहा है। उसे लेकर अब अफगानिस्तान की तालिबान सरकार और पाकिस्तान की शहबाज सरकार के बीच जबरदस्त टकराव चल रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने दावा किया है कि जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर अफगानिस्तान में ही है, जबकि तालिबान सरकार इससे इंकार करती रही। मसूद अजहर एक दुर्दांत आतंकवादी है और वह भारत में कई आतंकी हमलों की पटकथा लिखने के लिए जिम्मेवार है। तालिबान सरकार पाकिस्तान से इसलिए भी खफा है कि वह अफगान विरोधी आतंकवादियों को शरण दे रहा है। चीन को समरकंद सम्मेलन से भी काफी मिर्ची लगी हैं, क्योंकि इससे भारत का कद बहुत बड़ा है। चीन अपने हिसाब से अपने लोगों के साथ अलग हिसाब से विहेव करता है और अलग हिसाब से उसे कम्बेक करता है। आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान और चीन के बीच ऐसी क्या डील है, जिससे दुनिया निपट नहीं पा रही। संपादकीय :हैदराबाद का 'मुक्ति दिवस'प्रियजनों की विदाई और श्राद्धकैप्टन का भाजपा में प्रवेश !समरकंद में मोदी की दो टूकलखीमपुर में 'दलित' हत्यानामीबिया के मेहमानों का स्वागतदरअसल चीन ने बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत पाकिस्तान में अरबों रुपए का धन निवेश कर रखा है। अगर पाकिस्तान विफल राष्ट्र बनता है या वहां राजनीतिक अस्थिरता फैलती है तो चीन का सारा धन डूब जाएगा। समरकंद सम्मेलन से पूर्व चीन ने पूर्वी लद्दाख के प्वाइंट 15 से अपनी फौजें हटा लीं और भारत ने भी वहां से अपनी फौजें हटा ली लेकिन इससे भी दोनों देशों के संबंधों में सुधार की कोई उम्मीद नजर नहीं आती। लेकिन अभी भी तीन जगह ऐसी हैं जहां से अभी तक चीन की फौजें वापिस नहीं गई। अब तक भारत चीन में 16 राउंड की बातचीत हो चुकी है। चीन इससे आगे कितना बढ़ेगा इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। सीमाओं पर अतिक्रमण को लेकर चीन क्या करेगा इस पर कुछ भरोसा नहीं किया जा सकता। ऐसी रिपोर्टें पहले भी आ चुकी हैं कि चीन भारत से सटी सीमा के निकट छोटे-छोटे गांव बसा रहा है। चीन की आक्रमकता का कारण उसकी बढ़ती ताकत और बेलगाम महत्वकांक्षा है, इसलिए वह आतंकवाद का समर्थक बन बैठा है।