सम्पादकीय

चीन ने इंडोनेशिया को भी सीमा विवाद में उलझाया, चाहता है पूरे SCS की मिल्कियत

Rani Sahu
1 Dec 2021 1:16 PM GMT
चीन ने इंडोनेशिया को भी सीमा विवाद में उलझाया, चाहता है पूरे SCS की मिल्कियत
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कल हमने आपको बताया था कि किस तरह चीन भारत से लगने वाली अपनी सीमाओं पर जगह जगह बंकर बना कर आक्रामक रुख अख्तियार कर रहा है

विष्णु शंकर कल हमने आपको बताया था कि किस तरह चीन भारत से लगने वाली अपनी सीमाओं पर जगह जगह बंकर बना कर आक्रामक रुख अख्तियार कर रहा है. आज जानिए कि इंडोनेशिया के साथ समुद्री सीमा को लेकर चीन किस तरह उलझा हुआ है. चीन ने इंडोनेशिया से सख़्ती से कहा है कि वह दोनों देशों के बीच के समुद्र में तेल और गैस के लिए ड्रिलिंग ऑपेरशन बंद कर दे, क्योंकि यह चीन की सीमा के अंदर है. यह सागर का वह हिस्सा है जिस पर इंडोनेशिया और चीन दोनों दावा करते हैं. यह इलाका साउथ चाइना सी से सटा हुआ है और 2010 से इस पर इंडोनेशिया के साथ चीन की बहस चल रही है. बात इतनी बढ़ गयी कि 2017 में इंडोनेशिया को अपना दावा मज़बूत करने के लिए इस इलाके का नाम North Natuna Sea रखना पड़ा ताकी इसकी पहचान साउथ चाइना सी से अलग हो सके.

तीन चार महीने पहले दोनों देशों के बीच यह विवाद और बड़ा हो गया और इंडोनेशिया ने चीन की मांग को अभूतपूर्व कहते हुए मानने से इंकार कर दिया. इंडोनेशिया का कहना है की यह इलाका उसका है और यहां तेल और गैस की खोज के लिए ड्रिलिंग करना उसका सार्वभौमिक अधिकार है. इस बहस की वजह से दोनों के बीच तनाव बढ़ गया. समुद्र का यह इलाका ऊर्जा स्रोत के रूप में और आर्थिक दृष्टि से बहुत महत्व का है, और दोनों देश अपने स्टैंड से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. नतीजतन सामरिक दृष्टि से यह क्षेत्र अस्थिर भी होता जा रहा है.
चीन ने धमकी भरे लहजे में इंडोनेशिया से ड्रिलिंग रोकने को कहा
आपको बताते चलें कि चीन साउथ चाइना सी के लगभग पूरे हिस्से को अपना बताता है और इसका आधार इस इलाके के नक़्शे पर चीन द्वारा उकेरी गई नौ यानि Nine Dash Lines हैं जिनकी अंतरराष्ट्रीय क़ानून की नज़र में कोई मान्यता नहीं है. साल 2016 में हॉलैंड के हेग में स्थित Permanent Court of Arbitration ने भी Nine Dash Lines पर आधारित चीन के दावे को ख़ारिज कर दिया था.
इंडोनेशिया ज़मीन, GDP और जनसंख्या, सभी के लिहाज से दक्षिणपूर्व एशिया का सबसे बड़ा देश है और उसका कहना है कि राष्ट्रसंघ के Convention On The Law Of The Sea के अनुसार साउथ चाइना सी का दक्षिणी हिस्सा उसके Exclusive Economic Zone में आता है. चीन ने North Natuna Sea नाम पर भी ऐतराज़ जाहिर किया है और बार बार इंडोनेशिया से ड्रिलिंग रोकने को कहा. इंडोनेशिया के एक सांसद का कहना है कि चीन की चिट्ठी, जिसमें इंडोनेशिया से ड्रिलिंग रोकने के लिए कहा गया, उसका लहजा धमकाने वाला था.
चीन इंडोनेशिया का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर भी है
ध्यान देने वाली बात है कि चीन इंडोनेशिया का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है और देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा निवेशक भी. इंडोनेशिया की महत्वाकांक्षा दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की है. इसलिए इंडोनेशिया ने इस मामले को तूल नहीं दिया. लेकिन बात यहीं ख़त्म नहीं हुई. अभी यह विवाद चल ही रहा था कि इसी साल अगस्त महीने में चीन ने इंडोनेशिया को एक और पत्र लिख कर अमेरिका के साथ किए जाने वाले "गरुड़ शील्ड" सैनिक अभ्यास पर विरोध जताया. चीन का कहना था कि इस मिलिट्री एक्सरसाइज़ से इलाके की सुरक्षा और स्थायित्व पर असर पड़ेगा. "गरुड़ शील्ड" सैनिक अभ्यास साल 2009 से आयोजित किया जा रहा है. इसे इंडोनेशिया और अमेरिका मिल कर करते हैं, और इसमें लगभग 4500 सैनिक हिस्सा लेते हैं.
अब ज़रा इंडोनेशिया द्वारा ड्रिलिंग के दौरान चीन के पैंतरों के बारे में भी जान लीजिए. जैसे ही इंडोनेशिया का ड्रिलिंग शिप इसी साल जून में North Natuna Sea में नियत स्थान पर पंहुचा, कुछ ही दिनों के बाद एक चीनी कोस्ट गार्ड नौका भी वहां पहुंच गई. इसके जवाब में इंडोनेशिया ने भी अपनी एक कोस्ट गार्ड नौका वहां तैनात कर दी. अगले चार महीनों तक दोनों कोस्ट गार्ड नौकाएं एक दूसरे पर नज़र गड़ाए इलाके में घूमती रहीं.
सारा मामला 500 अरब डॉलर के तेल और गैस के भंडार का है
अमेरिका स्थित Center for Strategic and International Studies के विश्लेषण के अनुसार अगस्त महीने में चीन ने इस इलाके में शोध करने के लिए हाईयांग डिशी 10 नाम का एक जहाज़ भेजा. यह जहाज़ सात हफ़्तों तक यहां और बग़ल के D-Alpha ब्लॉक में घूमता रहा. इसके घूमने के तरीके से साफ़ था कि यह इस क्षेत्र की सतह को मैप या सर्वे कर रहा था. इंडोनेशियाई सरकार का कहना है यहां 500 अरब डॉलर मूल्य के तेल और गैस के भंडार हैं.
ग़ौरतलब है कि इंडोनेशिया और चीन के बीच यह घटना ऐसे समय हुई है जब चीन सभी ASEAN देशों के साथ एक ऐसे Code Of Conduct पर सहमति की कोशिश कर रहा है जिससे साउथ चाइना सी में नौवहन में उसे बाधा न हो. सब जानते हैं कि साउथ चाइना सी प्राकृतिक स्रोतों का भंडार है, और इसकी मार्फ़त हर वर्ष 3.4 ख़रब डॉलर का व्यापार होता है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि साउथ चाइना सी को लेकर चीन के आक्रामक रवैये से सभी 10 ASEAN देश चिंतित हैं.
इंडोनेशिया ने राष्ट्रसंघ के नियमों के अंतर्गत अभी तक साउथ चाइना सी के किसी इलाके पर अपना दावा नहीं ठोका है क्योंकि उसका कहना है कि North Natuna Sea का उसका इलाका अंतरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार नियत है, हालांकि देश के सुरक्षा मामलों के मंत्री महफूद MD सार्वजानिक तौर पर कह चुके हैं कि इंडोनेशिया अपनी ज़मीन का एक इंच भी किसी को नहीं देगा.
Rani Sahu

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