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ऋषि सुनक इतिहास रचने के करीब!
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
ब्रिटेन में वहां का अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए कंजर्वेटिव पार्टी के नेता भारतीय मूल के ऋषि सुनक और लिज ट्रस के बीच कांटे की टक्कर चल रही है. वहीं भारत के उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने भारत में सुनक की उम्मीदवारी को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही खबरों की भरमार के बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के सरकारी निवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट की डिजिटल फोटोग्राफी से असली तस्वीर को बदलकर एक नई तस्वीर बनाकर साझा की है.
तस्वीर में ब्रिटिश पीएम के इस चर्चित सरकारी आवास के मुख्य प्रवेश द्वार पर भारतीय संस्कृति की परंपरागत गेंदे के फूल और आम की पत्तियों की वंदनवार सजी हुई है. खैर, इस 'काल्पनिक' दिलचस्प तस्वीर से अलग हटकर अगर ब्रिटेन की अप्रत्याशित गर्मी के साथ वहां तेजी से गर्मा रहे राजनीतिक पारे के बीच पीएम पद की रेस के अब तक के आंकड़ों की बात करें तो ऋषि सुनक इस रेस में अपनी बढ़त बनाए हुए हैं और उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं प्रबल होती जा रही हैं.
कंजर्वेटिव सांसदों के बीच हुए अंतिम दौर के मतदान में अब दोनों के बीच सीधा मुकाबला तय है. इससे पहले मंगलवार को हुए चौथे दौर के मतदान में सुनक को 118 वोट तो लिज ट्रस को 86 वोट मिले थे. इस चुनाव पर न केवल ब्रिटिश जनता की, बल्कि वहां बसे एशियाई मूल, विशेष तौर पर वहां बसे 14 लाख से अधिक भारतीय मूल के लोगों यानी ब्रिटेन की कुल आबादी के 2.5 प्रतिशत की निगाहें लगी हैं, जिसका फैसला लंबी चुनाव प्रक्रिया के बाद पांच सितंबर को होगा.
बहरहाल, ब्रिटेन का जो भी प्रधानमंत्री बनेगा, उसके सम्मुख बड़ी चुनौतियां हैं. देश में मुद्रास्फीति पिछले चालीस वर्षों में सर्वाधिक है, कंजर्वेटिव पार्टी में बढ़ती दरार, यूक्रेन युद्ध में ब्रिटेन की भूमिका को लेकर उठते सवाल जैसी अनेक समस्याओं का उसे हल निकालना होगा.
इन तमाम परिस्थतियों के बीच सवाल है कि क्या ब्रिटेन गैर-श्वेत को देश का प्रधानमंत्री बनाने को तैयार है. अगर सुनक पीएम बनते हैं तो इन चुनौतियों से निपटने के आधार पर उनकी आगे की राजनीतिक यात्रा काफी हद तक तय होगी. साथ ही अगर सुनक जीतते हैं तो उनकी जीत के भारत के लिए क्या मायने हैं?
इस चुनाव से यह सवाल भी अहम तौर से जुड़ा है कि ब्रिटेन में विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावशाली भूमिका निभाने वाले खासतौर पर राजनीति में तेजी से सक्रिय हो रहे एशियाई, विशेष तौर पर भारतीय मूल के व्यक्ति को शीर्ष पद पर लाने के लिए क्या ब्रिटेन तैयार है. भारत में कुछ जानकारों का मत है कि अब भी ब्रिटिश व्यवस्था रंगभेद से कुछ हद तक जूझ रही है तो क्या ऐसे में वहां एक अश्वेत/ एशियाई या यूं कहें भारतीय मूल के व्यक्ति को ब्रिटेन के पीएम के रूप में स्वीकार किया जाएगा?
एक पूर्व राजदूत मानते हैं कि अपनी वैविध्यता और विभिन्न संस्कृतियों को साथ में लेकर चलने के लिए ब्रिटेन की अपनी खास पहचान है. ऐसे में निश्चित तौर पर वहां की राजनीति में सक्रिय एशियाई/ भारतीय मूल के आने से आपसी मुद्दों को समझने और तालमेल बैठाने में मदद मिलेगी.
पिछले कुछ वर्षों के कुछ ठहराव के बाद, दोनों देशों के बीच संबंध तेजी से बढ़े हैं. व्यापारिक संबंध भी तेजी से बढ़े हैं. दोनों देशों के बीच 2020-21 में द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 25.25 अरब डॉलर तक पहुंच गया. जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, आव्रजन जैसे मुद्दों को आपसी सहयोग से हल करने पर दोनों के बीच सहमति है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी विभिन्न मुद्दों पर दोनों देशों के बीच कुल मिलाकर सहमति ही है.
संबंध एक-दूसरे के पूरक बनकर उभर रहे हैं. जिस तरह से सुनक अपनी कार्यशैली से राजनीति में अपनी पहचान बना रहे हैं, उसमें अगर वे देश के प्रधानमंत्री बनते हैं तो प्रगाढ़ संबंधों वाले इन दोनों देशों के बीच सहयोग के नए आयाम बन सकते हैं. सुनक बोरिस जॉनसन सरकार में वित्त मंत्री रह चुके हैं. कोरोना के दौरान उनका आर्थिक प्रबंधन काफी सराहा भी गया.
ऋषि सुनक भारत के विख्यात उद्योगपति और इंफाेसिस कंपनी के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति के दामाद हैं. उन्होंने उनकी पुत्री अक्षता मूर्ति से साल 2009 में शादी की थी. सुनक की पत्नी के कर मामलों पर विवाद और लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगने से उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची. बोरिस जॉनसन के आरोपों से घिरने के बाद वे कैबिनेट छोड़ने वाले सबसे पहले कैबिनेट मंत्रियों में से एक थे.
ऋषि सुनक 2015 में रिचमंड से कंजर्वेटिव सांसद चुने गए थे. उनके पिता एक डॉक्टर थे और मां फार्मासिस्ट थीं. भारतीय मूल के उनके परिजन पूर्वी अफ्रीका से ब्रिटेन आए थे. 1980 में सुनक का जन्म हैंपशायर के साउथहैंपटन में हुआ. उन्होंने ऑक्सफोर्ड, स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल की.
ऋषि सुन कहते रहे हैं कि उनकी एशियाई पहचान उनके लिए मायने रखती है. उन्होंने कहा था, ''मैं पहली पीढ़ी का आप्रवासी हूं. मेरे परिजन यहां आए थे, तो आपको उस पीढ़ी के लोग मिले हैं जो यहां पैदा हुए, उनके परिजन यहां पैदा नहीं हुए थे और वे इस देश में अपनी जिंदगी बनाने आए थे.''
अब दोनों ही उम्मीदवारों के बीच 25 जुलाई को बीबीसी पर आमने-सामने की बहस होगी. साथ ही देश भर में कंजर्वेटिव पार्टी के 1.6 लाख सदस्यों के बीच पोस्टल बैलेट के जरिए वोट करवाया जाएगा और 5 सितंबर को नए प्रधानमंत्री की घोषणा की जाएगी.
Rani Sahu
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