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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
पंजाब में चडीगढ़ यूनिवर्सिटी के वीडियो प्रकरण ने पूरे देश को हिला दिया है. देश इस बात से स्तब्ध है कि इस प्रकरण को यूनिवर्सिटी की ही एक छात्रा ने अंजाम दिया. कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि एक छात्रा ऐसा घृणित कृत्य कर अपने शिक्षा संस्थान की प्रतिष्ठा एवं नारी की गरिमा को ठेस पहुंचाएगी. मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं. लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि देश, समाज तथा परिवार को शर्मसार कर देने वाले ऐसे घृणित कृत्य कैसे बंद होंगे.
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में एक छात्रा पर आरोप है कि उसने लगभग 60 छात्राओं के नहाते हुए वीडियो बनाए और उसे हिमाचल प्रदेश में रहने वाले अपने ब्वॉयफ्रेंड को भेजा. ये वीडियो देखते-देखते वायरल हो गए. हालांकि आरोपी छात्रा का कहना है कि उसने खुद का वीडियो बनाकर अपने पुरुष मित्र को भेजा था लेकिन यूनिवर्सिटी की कुछ छात्राओं का दावा है कि उन्होंने खुद इस लड़की को नहाती हुई छात्राओं का वीडियो बनाते हुए देखा है.
मामला नारी की गरिमा, सम्मान तथा सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. लेकिन इस संवेदनशील मामले पर स्थानीय पुलिस तथा विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया बेहद निंदनीय है. उसे पीड़ित छात्राओं के सम्मान से ज्यादा अपनी प्रतिष्ठा प्रिय है. मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है. जांच के पूर्व ही पुलिस तथा विश्वविद्यालय द्वारा इस मामले को निराधार एवं कोरी अफवाह करार देना अपराध पर पर्दा डालने की उसकी मानसिकता को दर्शाता है.
हमारे देश में ऐसे मामलों को अक्सर संस्कारों से जोड़ दिया जाता है. हर बच्चे को उसका परिवार अच्छे संस्कार ही देता है, हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर सफल करियर बनाएं और एक जिम्मेदार नागरिक बनें लेकिन परिवार द्वारा दिए गए संस्कारों का जतन करने की जिम्मेदारी बच्चों की होती है. जब वे खुली दुनिया में आते हैं तब भटकाने वाले तत्व भी बहुत मिल जाते हैं. ऐसे में खुद को संभालना युवाओं की जिम्मेदारी होती है.
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के एमएमएस प्रकरण को एक अकेली छात्रा अंजाम देने का दुस्साहस नहीं कर सकती. हो सकता है कि वह पोर्नोग्राफी रैकेट के जाल में फंस गई हो तथा उसी के दबाव में उसने जघन्य कृत्य किया हो. मामले की जांच सिर्फ एमएमएस बनाने तथा उसे वायरल करने के दायरे में नहीं होनी चाहिए. गहराई से जांच कर यह पता लगाना होगा कि क्या कोई बड़ा पोर्नोग्राफी गिरोह इस कृत्य के पीछे है.
भारत ही नहीं पूरी दुनिया में पोर्नोग्राफी का मजबूत और विशाल जाल फैला हुआ है. इसमें किशोरवयीन युवक-युवतियां ही नहीं बल्कि चालीस-पचास आयुवर्ग के लोग तक फंसे हुए हैं. यह एक ऐसा लुभावना जाल है, जिसमें आसानी से बड़ी रकम कमाने के लालच में शिकार फंस जाता है और जिंदगी भर उससे बाहर निकल नहीं पाता. बाद में इन लोगों की ब्लैकमेलिंग होने लगती है तथा उनका अकल्पनीय शोषण होता है.
इंटरनेट बेहद उपयोगी साधन है, टीवी चैनल तथा ओटीटी भी ज्ञान का भंडार हैं लेकिन सवाल यह है कि नई पीढ़ी इन सब पर क्या देखती है क्योंकि अश्लील सामग्री भरपूर परोसी जा रही है. नशे के कारोबारी अलग युवा पीढ़ी को अपने जाल में ले रहे हैं. ऐसे में समाज तथा परिवार की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. जहां युवक-युवतियां पढ़ते हैं, उन शिक्षा संस्थानों की जवाबदेही बढ़ जाती है. नई पीढ़ी की गतिविधियों पर नजर रखना सबकी जिम्मेदारी है लेकिन उसे गंभीरता से निभाने की इच्छाशक्ति का अभाव कहीं न कहीं नजर आता है.
पंजाब की घटना से देश, समाज, परिवार तथा शिक्षा संस्थानों को सबक सीखना चाहिए. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सन् 2011 में एक छात्र-छात्रा का आपत्तिजनक वीडियो लीक हुआ था. उस प्रकरण की गूंज सारे देश में हुई थी मगर जांच के नाम पर लीपापोती कर दी गई. ऐसा ही हश्र चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी एमएमएस प्रकरण का न हो जाए!
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