- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- ब्लॉग: तेजस्वी यादव की...
x
तेजस्वी यादव की सराहनीय पहल...अगर ये हो जाए तो भारतीय राजनीति का होने लगेगा शुद्धिकरण
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने दल के मंत्रियों के लिए एक नई आचार-संहिता जारी की है, जो मेरे हिसाब से अधूरी है लेकिन बेहद सराहनीय है. सराहनीय इसलिए कि हमारे नेताओं में आचरण की थोड़ी-बहुत शुद्धता शुरू होने लगे तो धीरे-धीरे भारतीय राजनीति का शुद्धिकरण काफी हद तक हो सकता है.
फिलहाल तेजस्वी ने अपने मंत्रियों से कहा है कि वे बुजुर्गों से अपने पांव छुआना बंद करें. उन्हें खुद नमस्कार करें. हमारे देश में अपने से बड़ों के पांव छूने की जो परंपरा है, दुनिया के किसी भी देश में नहीं है. जापान में कमर तक झुकने और अन्य देशों में अलग-अलग तरह की परंपरा मैंने देखी है लेकिन अपने भारत की इस महान परंपरा को सत्ता, पैसा, हैसियत और स्वार्थ के कारण लोगों ने शीर्षासन करवा रखा है.
देश के कई वर्गों के लोगों को मैंने देखा है कि वे अपने से उम्र में काफी बड़े लोगों से अपना पांव छुआने में जरा भी संकोच नहीं करते बल्कि वे इस ताक में रहते हैं कि बुजुर्ग उनके पांव छुएं तो उनके बड़प्पन का सिक्का जमे. तेजस्वी यादव इस कुप्रथा को रुकवा सकें तो उन्हें यह बड़ा नेता बनवा देगी. तेजस्वी ने दूसरी सलाह अपने मंत्रियों को यह दी है कि वे आगंतुकों से उपहार लेना बंद करें. उनकी जगह कलम और किताबें लें. कितनी अच्छी बात है यह. लेकिन नेता उन किताबों का क्या करेंगे?
किताबों से अपने छात्र-काल में दुश्मनी रखनेवाले ज्यादातर लोग ही नेता बनते हैं. तेजस्वी की पहल पर अब वे कुछ पढ़ने-लिखने लगें तो चमत्कार हो जाए. तेजस्वी ने तीसरी पहल यह की है कि मंत्रियों से कहा है कि वे अपने लिए नई कारें न खरीदवाएं. यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन यह काफी नहीं है. तेजस्वी चाहें तो नेताओं के आचरण को आदर्श भी बनवाने की प्रेरणा दे सकते हैं.
पहला काम तो वे यह करें कि सांसदों और विधायकों की पेंशन खत्म करवाएं. दूसरा, उन्हें सरकारी मकानों में न रहने दें. तेजस्वी खुद बंगला छोड़ें तो बाकी मंत्री भी छोड़ देंगे. हमारी राजनीति को यदि भ्रष्टाचार से मुक्त करना है तो हमारे नेताओं को आचार्य कौटिल्य और यूनानी विद्वान प्लेटो के 'दार्शनिक राजाओं' के आचरण से सबक लेना चाहिए.
Rani Sahu
Next Story