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देश में नासूर बने वायु प्रदूषण के चलते भारतीय व्यक्ति की औसत उम्र 10 साल तक घट सकती है
By लोकमत समाचार सम्पादकीय |
देश में नासूर बने वायु प्रदूषण के चलते भारतीय व्यक्ति की औसत उम्र 10 साल तक घट सकती है. हैरानी है कि वायु प्रदूषण से जुड़े जो ताजा आंकड़े आए हैं, उनका विस्तार समूचे भारत के साथ पूर्वोत्तर तक है, जबकि इस क्षेत्र में प्रदूषण की गुंजाइश कम से कम है.
अमेरिका के शिकागो विवि की शोध संस्था एपिक (एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो) द्वारा तैयार किए गए 'वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक-2021' (एक्यूएलआई) ने चिंताजनक जानकारी दी है. कहा है कि पूरे भारत में एक भी ऐसा स्थान नहीं है जहां वायु की गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार हो.
संगठन के अनुसार पीएम 2.5 का स्तर 5 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से कम होना चाहिए. भारत में 63 प्रतिशत आबादी ऐसे स्थानों पर रहती है, जहां का वायु मानक 40 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से भी अधिक प्रदूषित है. अतएव ऐसी आबादी ज्यादा संकटग्रस्त है.
बढ़ते वायु प्रदूषण से भारत के 40 प्रतिशत लोगों की आयु 10 साल तक कम हो सकती है. मध्य-पूर्वी और उत्तर-भारत में रहने वाले करीब 48 करोड़ लोग खतरनाक वायु प्रदूषण की गिरफ्त में हैं. इनमें दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रदूषित है. यहां पीएम 2.5 का स्तर सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति 197.6 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है.
उत्तर प्रदेश में यह प्रति व्यक्ति 83.3, बिहार में प्रति व्यक्ति 86 माइक्रो ग्राम, हरियाणा में 80.8, बंगाल में 66.4 और पंजाब में 65.7 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर प्रति व्यक्ति है. नतीजतन दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और झारखंड में खतरा ज्यादा है. इन राज्यों में 10 से लेकर 7.3 वर्ष उम्र घटने की आशंका है़ पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ में औसत उम्र 6.73 से लेकर 5.4 वर्ष तक घट सकती है.
पूर्वोत्तर के राज्यों में भी दूषित हवा की मात्रा बढ़ रही है. त्रिपुरा में 4.17, मेघालय में 3.65 और असम में 3.8 वर्ष उम्र कम हो सकती है. दादरा नगर हवेली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में भी 3.8 से लेकर 2.91 वर्ष उम्र कम होने की शंका है. लद्दाख, अंडमान निकोबार, अरुणाचल-प्रदेश, गोवा और कर्नाटक में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति है.
देश में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर रोज नए सर्वे आ रहे हैं. केंद्र सरकार द्वारा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और गैर सरकारी संगठन 'हेल्थ ऑफ द नेशंस स्टेट्स' के साथ मिलकर कराए सर्वे के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में वायु प्रदूषण से पीड़ित जो एक लाख मरीज अस्पतालों में पहुंचते हैं, उनमें से 3469, राजस्थान में 4528, उत्तर प्रदेश में 4390, मध्य प्रदेश में 3809, और छत्तीसगढ़ में 3667 रोगियों की मृत्यु हो जाती है.
हवा में घुलता जहर महानगरों में ही नहीं, छोटे नगरों में भी प्रदूषण का सबब बन रहा है. कार बाजार ने इसे भयावह बनाया है. यही कारण है कि लखनऊ, कानपुर, अमृतसर, इंदौर और अहमदाबाद जैसे शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर की सीमा लांघने को तत्पर है. उद्योगों से धुआं उगलने और खेतों में बड़े पैमाने पर औद्योगिक व इलेक्ट्राॅनिक कचरा जलाने से भी दिल्ली की हवा में जहरीले तत्वों की सघनता बढ़ी है.
इस कारण दिल्ली दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है. इसी कारण सर्वे के अनुसार दिल्ली में निवासरत लोगों की उम्र सबसे ज्यादा दस साल कम हो सकती है. भारत सरकार ने हाल ही में 15 साल तक की कारों को सड़कों से हटाकर इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग का निर्णय लिया है, संभव है उसके अमल में आने से वायु का शुद्धिकरण हो?
Rani Sahu
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