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सम्पादकीय
राहत की बड़ी खबर: अमेरिकी प्रतिबंधों से मिली छूट; भारत खरीद सकेगा रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली S-400
Gulabi Jagat
16 July 2022 6:33 AM GMT
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सम्पादकीय न्यूज
अमेरिकी संसद के निचले सदन यानी प्रतिनिधि सभा की ओर से राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलना भारत के लिए राहत की एक बड़ी खबर है। इस प्रस्ताव के पारित होने का अर्थ है भारत को काट्सा कानून के तहत पाबंदी से छूट का रास्ता साफ होना। अमेरिका इस कानून के तहत उन देशों पर प्रतिबंध लगाता है, जो ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के साथ किसी तरह का लेन-देन करते हैं। एक अर्से से भारत पर इस कानून की तलवार लटक रही थी। रह-रहकर यह आशंका उभरती रहती थी कि अमेरिका इस कानून का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सकता है, क्योंकि वह रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 हासिल कर रहा है।
यह अच्छा हुआ कि अंतत: अमेरिका ने यह समझा कि भारत के विरुद्ध काट्सा का इस्तेमाल करके वह भारतीय हितों के खिलाफ ही काम करेगा। यदि अमेरिका रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के कारण पर भारत के विरुद्ध कोई कदम उठाता तो इससे न केवल दोनों देशों के संबंधों पर विपरीत प्रभाव पड़ता, बल्कि चीन के दुस्साहस को भी बल मिलता, जो पिछले कुछ समय से अतिक्रमणकारी रवैया अपनाए हुए है।
चूंकि भारत को रूस से रक्षा सामग्री की खरीद की छूट देने वाले प्रस्ताव को सत्तापक्ष के साथ विपक्ष के सदस्यों का भी समर्थन मिला, इसलिए अमेरिकी संसद के उच्च सदन यानी सीनेट से भी इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने की प्रबल संभावना है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा से भारत को विशेष छूट देने वाले प्रस्ताव को एक ऐसे समय मंजूरी मिली है, जब यूक्रेन संकट के बाद से अमेरिका और उसके सहयोगी देश यह दबाव बनाने में लगे हुए हैं कि नई दिल्ली मास्को से दूरी बढ़ाए और उससे अपने आर्थिक-व्यापारिक संबंधों पर विराम लगाए।
भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का उल्लेख कर इससे लगातार इन्कार कर रहा है। इसी के साथ यह भी स्पष्ट कर रहा है कि वह यूक्रेन पर रूस के हमले का समर्थन नहीं करता। चूंकि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति देते समय इस बात को विशेष रूप से रेखांकित किया गया कि चीन अपने आक्रामक रवैये के कारण भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है, इसलिए बीजिंग को भी यह समझ आए तो अच्छा कि उसकी मनमानी चलने वाली नहीं है।
वैसे भारत को इससे संतुष्ट नहीं होना चाहिए कि अमेरिका ने यह समझा कि वह अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए रूस पर निर्भर है। उसे इसके लिए प्रयास तेज करने चाहिए कि वह अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के मामले में आत्मनिर्भर बने।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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Gulabi Jagat
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