सम्पादकीय

ई-कॉमर्स में बड़ी पहल

Gulabi Jagat
4 Oct 2022 8:36 AM GMT
ई-कॉमर्स में बड़ी पहल
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भारत समेत दुनियाभर में बड़ी टेक कंपनियों के ई-कॉमर्स कारोबार ने छोटे खुदरा व्यापारियों को भारी नुकसान पहुंचाया है. शहरों, कस्बों और मुहल्लों में अपनी दुकान चलाने वाले कारोबारी बेहद सीमित संसाधनों से बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मुकाबला नहीं कर सकते हैं. इस वर्चस्व को तोड़ने तथा खुदरा व्यापारियों को मदद देने के लिए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बड़ी पहल की है. मंत्रालय ने डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपेन नेटवर्क (ओएनडीसी) की शुरुआत की है.
अभी इसे बंगलुरु के कुछ इलाकों में परीक्षण के लिए शुरू किया गया है. इस मंच पर खरीद-बिक्री के कारोबार में लगे लोग तथा अनेक एप जल्दी ही जुड़ सकेंगे. यह नेटवर्क सरकार का एक स्टार्टअप है. इसके माध्यम से अभी परीक्षण वाले क्षेत्र के लोग इस नेटवर्क पर मौजूद एप के जरिये रसोई के सामान और रेस्तरां से खाने की चीजें मंगा सकते हैं. उल्लेखनीय है कि बीस से अधिक प्रतिष्ठित संस्थान ओएनडीसी में 225 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूर कर चुके हैं तथा स्टेट बैंक, यूको बैक, आइसीआइसीआइ, एचडीएफसी, बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी निवेश का भरोसा दिलाया है.
अभी आमेजन और फ्लिपकार्ट का देश के आधे से अधिक ई-कॉमर्स व्यापार पर दखल है. ऐसे में छोटे कारोबारियों को बराबरी के साथ प्रतिस्पर्द्धा का मौका नहीं मिल पाता है. छोटे दुकानदार और कारोबारी अर्थव्यवस्था के अहम हिस्से हैं तथा असंगठित क्षेत्र में रोजगार के बड़े माध्यम भी. यदि वे बाजार से बाहर चले जायेंगे, तो इसका बड़ा नुकसान अर्थव्यवस्था को होगा. पूरी तरह से चालू होने पर ओएनडीसी पर अन्य ई-कॉमर्स मंचों की तरह लगभग हर तरह की चीजें खरीदी और बेची जा सकेंगी.
उल्लेखनीय है कि कुछ भारतीय कंपनियां जो ई-कॉमर्स कारोबार में हैं या आने वाले दिनों में उनके शामिल होने की संभावना है, वे भी ओएनडीसी से जुड़ सकेंगी. यह पहल सरकार की है, तो इसकी विश्वसनीयता भी अधिक है तथा इसमें निजी निवेश के साथ बाजार के विशेषज्ञों की सेवा भी ली जा रही है.
हमारे देश में डिजिटल भुगतान की यूपीआइ व्यवस्था अपनी क्षमता और सफलता के लिए वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित हो चुकी है. इस प्रणाली ने डिजिटल लेन-देन को शहरों से लेकर कस्बों तक एक आम चलन बना दिया है. इसी तरह की व्यवस्था लॉजिस्टिक सेवाओं को सुचारू बनाने के लिए भी की जा रही है, जो देश की पहली लॉजिस्टिक नीति का अहम हिस्सा है. ओएनडीसी को भी इसी क्रम में देखा जाना चाहिए.

प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय
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