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हिमाचल में भले ही किसी दल की सरकार क्यों न हो, पर यह आम बात होती है कि कार्यकाल के पांचवें साल यानी चुनावी साल में सरकारंे ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं
हिमाचल में भले ही किसी दल की सरकार क्यों न हो, पर यह आम बात होती है कि कार्यकाल के पांचवें साल यानी चुनावी साल में सरकारंे ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं और नेता एक के बाद एक शिलान्यासों का सिलसिला, आधे-अधूरे प्रोजेक्टों का उद्घाटन, कर्मचारी भर्ती, कर्मचारियों से संबंंधित मुद्दे, लोककल्याण के मुद्दे, झूठे वादे, झूठे दावों की झड़ी लगाने से चूकते नही हैं, लेकिन होता वही है जो प्रदेश की जनता चाहती है।
यह देखा जाता रहा है कि प्रदेश की जनता सत्ता परिवर्तन में ज्यादा विश्वास रखती है और प्रदेश का इतिहास रहा है कि हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन होता रहा है। मेरे विचार में सत्ता परिवर्तन से पिछली सरकार द्वारा यदि किसी प्रकार की अनियमितताएं और भष्टाचार किया हो तो वह जल्द पकड़ में आ सकता है। नई सरकार नई ऊर्जा के साथ जनकल्याण के काम करती है।
-रूप सिंह नेगी, सोलन
Rani Sahu
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