सम्पादकीय

बढ़ोतरी के पीछे

Subhi
11 July 2022 5:59 AM GMT
बढ़ोतरी के पीछे
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सरकारी तेल कंपनियों द्वारा एक बार फिर रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में पचास रुपए की बढ़ोतरी किए जाने के कारण पहले ही से महंगाई से त्रस्त आम जनता की परेशानियां बढ़ गई हं।

Written by जनसत्ता; सरकारी तेल कंपनियों द्वारा एक बार फिर रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में पचास रुपए की बढ़ोतरी किए जाने के कारण पहले ही से महंगाई से त्रस्त आम जनता की परेशानियां बढ़ गई हंै। तेल कंपनियों ने मई से अब तक तीन बार और पिछले एक साल में चौथी बार रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाए हैं। जून 2021 से अब तक तेल कंपनियों द्वारा की गई 244 रुपए की बढ़ोतरी ने जहां एक तरफ रसोई का बजट बिगाड़ दिया है, वहीं दूसरी तरफ तेल कंपनियों को दुबारा सरकारी नियंत्रण में लिए जाने की सख्त आवश्यकता को रेखांकित करती है।

अगर कांग्रेस नीत यूपीए-दो सरकार ने जून 2011 में सरकारी तेल कंपनियों को नियंत्रण मुक्त करने की गलती न की होती, तो रसोई गैस की कीमतें आज बेकाबू नहीं होती। केंद्र सरकार यूपीए-दो सरकार द्वारा की गई गलती को तत्काल सुधारे, ताकि तेल कंपनियों की मनमानी का खमियाजा जनता को न भुगतना पड़े।

किसी भी देश के सत्ताधारी और राजनेता जब लोकतंत्र की लक्ष्मणरेखा पार करेंगे तो लाजिमी है कि वहां के नागरिकों का भी लोकतंत्र पर से विश्वास कम होगा। अमेरिका की संसद में जो हिंसा हुई थी, उसके पीछे वहां के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का अहंकार था। लेकिन यह भी सच है कि जो अपनी सत्ता या कुर्सी का दुरुपयोग करेगा, वह आज नहीं तो कल जरूर उसका बुरा फल जरूर भोगेगा, और जो गलत राह चलेगा उसका साथ उसके खास लोग भी छोड़ देते हैं।

बोरिस जानसन अपने यहां बेरोजगारी, महंगाई और अन्य बहुत सी समस्याओं को नियंत्रित करने में नाकाम रहे, यह वजह भी इनके इस्तीफे की वजह बनी। बोरिस जानसन बेशक एक नाकाम प्रधानमंत्री साबित हुए, इन्होंने गलत नीतियों को भी अपनाया और दूसरे भी कुछ गलत काम किए होंगे, लेकिन इनकी यह भी अच्छा कदम माना जा सकता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

मगर हमारे यहां बहुत से सत्ताधारी ऐसे भी ही हैं, जो आमजन की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरते, इन पर बहुत से आरोप भी लगते हैं, लेकिन यह पांच साल तक कुर्सी से चिपके ही रहते हैं, नाकाम शासक सिद्ध होने पर भी कुर्सी खुद नहीं छोड़ते।


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