सम्पादकीय

भीख मांगना मजबूरी है…

Gulabi
20 Oct 2021 4:22 AM GMT
भीख मांगना मजबूरी है…
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शहरों और कस्बों में भी कई भिखारी देखे जा सकते हैं

शहरों और कस्बों में भी कई भिखारी देखे जा सकते हैं। कोई भी व्यक्ति भिखारी नहीं बनना चाहता। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार हम भीख मांगने को अपराध नहीं घोषित कर सकते क्योंकि एक व्यक्ति जिसके पास करने के लिए कोई काम नहीं है, विकलांग और कोई भी काम करने में सक्षम नहीं, परिवार में एक व्यक्ति को गंभीर बीमारी और सांप्रदायिक हिंसा के शिकार भीख मांगने में शामिल हैं। उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए संगठनों को बच्चों को स्कूलों में भेजने के लिए और बड़ों को किसी काम में समायोजित करने के लिए सामने आना चाहिए। लोगों को भी उनकी आर्थिक मदद करने की पहल करनी चाहिए ताकि वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें। अगर सरकार और आम जनता उनकी मदद करेंगे तो कोई भीख नहीं मांगेगा।


-नरेंद्र कुमार शर्मा, भुजड़ू, मंडी


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