सम्पादकीय

नेपाल का रण-क्षेत्र

Gulabi Jagat
23 Jun 2022 5:23 AM GMT
नेपाल का रण-क्षेत्र
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समापदकीय
By NI Editorial
अब देउबा सरकार को अमेरिका विरोधी एक फैसला लेना पड़ा है। अमेरिका के स्टेट पार्टनरशिप प्रोग्राम में शामिल ना होने के नेपाल सरकार के फैसले को प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के लिए एक झटका समझा जा रहा है।
बीते कई महीनों से नेपाल महाशक्तियों- यानी अमेरिका और चीन की प्रतिद्वंद्विता का एक रण क्षेत्र बना हुआ है। जब से शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली सरकार में सत्ता आई है, अब तक इस होड़ में अमेरिका भारी पड़ रहा था। देउबा सरकार ने पहले अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन से 50 करोड़ डॉलर की मदद स्वीकार करने संबंधी करार का संसदीय अनुमोदन कराया। फिर यूक्रेन युद्ध में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार अमेरिकी रुख के मुताबिक मतदान किया। इससे चीन में बैचैनी साफ झलकी। मगर अब देउबा सरकार को अमेरिका विरोधी एक फैसला लेना पड़ा है। अमेरिका के स्टेट पार्टनरशिप प्रोग्राम (एसपीपी) में शामिल ना होने के नेपाल सरकार के फैसले को प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के लिए एक झटका समझा जा रहा है। नेपाल में हफ्ते भर तक इस मुद्दे पर तीखा विवाद चला। आखिरकार सरकार को ये फैसला लेना पड़ा। उसे यह फैसला उस समय लेना पड़ा है, जब प्रधानमंत्री देउबा के अमेरिका जाने के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। देउबा के जुलाई के मध्य में अमेरिका की सरकारी यात्रा पर जाने की संभावना है।
एसपीपी का मामला पिछले हफ्ते मीडिया में आई इन रिपोर्टों के बाद गरमाया था कि अमेरिका एसपीपी में शामिल होने के लिए नेपाल सरकार पर दबाव डाल रहा है। यह प्रोग्राम एक तरह का सैनिक गठजोड़ है। इसके तहत अमेरिका के नेशनल गार्ड और नेपाली सेना का एक साझापन बनता। ये मामला इतना भड़का कि नेपाली संसद की अंतरराष्ट्रीय संबंध समिति ने विदेश मंत्री नारायण खड़का और सेनाध्यक्ष प्रभुराम शर्मा को बुला कर उनसे सवाल-जवाब किए। इसके बाद समिति ने प्रधानमंत्री देउबा को तलब किया, लेकिन वे बीते रविवार को पेश नहीं हुए। तब समिति ने देउबा को इसी हफ्ते फिर से पूछताछ के लिए बुलाने का फैसला किया था। इसी बीच देउबा की कैबिनेट ने फैसला किया कि नेपाल एसपीपी में शामिल नहीं होगा और इस बारे में अमेरिका को सूचना दे दी जाएगी। समझा जाता है कि विपक्ष और कुछ अपने सहयोगियों के दबाव के कारण प्रधानमंत्री देउबा को एसपीपी से नेपाल को अलग करने पर राजी होना पड़ा। स्पष्टतः ताजा फैसले से अमेरिका असहज होगा।
Gulabi Jagat

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