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सम्पादकीय
Azam Khan Bail : आजम खान की जमानत से बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा मिलने की संभावना, लेकिन अखिलेश यादव का क्या?
Gulabi Jagat
20 May 2022 8:00 AM GMT
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सीतापुर जेल में 29 महीने रहने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान अब रिहा होने जा रहे
ब्रजेश पांडेय |
सीतापुर जेल में 29 महीने रहने के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता आजम खान (Azam Khan) अब रिहा होने जा रहे हैं. उन्हें अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि यह अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करने का उपयुक्त मामला है. सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान को दो सप्ताह के भीतर नियमित जमानत के लिए अर्जी लगाने को कहा है. निस्संदेह यह जमानत संकट में घिरे एसपी नेता के लिए एक राहत की तरह है. लेकिन जहां तक उत्तर प्रदेश की सियासत की बात है तो इसके राजनीतिक परिणामों को नकारा नहीं जा सकता है.
यह सब उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद शुरू हुआ जब बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की थी. चुनावी नतीजों से यह भी पता चला कि मुस्लिम मतदाताओं में बहुमत ने समाजवादी पार्टी के पक्ष में मतदान किया था. यूं तो अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच अनबन एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. ये अटकल लगाई जा रही है कि शिवपाल शायद बीजेपी में शामिल हो जाएंगे जिससे एसपी को और भी नुकसान होगा. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में हार के बाद आजम खेमे की ओर से अखिलेश पर निशाना साधा गया.
आजम खान ने अपने खिलाफ दर्ज 89 मामलों में से 88 में जमानत हासिल कर ली है
आजम के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान ने अखिलेश पर पार्टी के पूर्व सांसद की अनदेखी करने का आरोप लगाया. फसाहत खान ने कहा कि अखिलेश केवल एक बार जेल में आजम से मिलने गए हैं और उस विच-हंट के बारे में कुछ भी नहीं कहा जिसका सामना आज़म खान बीजेपी सरकार की तरफ से लगातार कर रहे हैं. फसाहत ने आगे वही कहा जो चुनाव प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ कहते रहे थे. गौरतलब है कि उस समय योगी कहते थे कि अखिलेश आजम को जेल से बाहर नहीं देखना चाहते हैं ताकि उन्हें अपनी ही पार्टी के भीतर किसी विरोध का सामना न करना पड़े.
आजम खान ने अपने खिलाफ दर्ज 89 मामलों में से 88 में जमानत हासिल कर ली है. अखिलेश के यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता बनने के फैसले की भी आजम खेमे ने आलोचना की है. इन सबके कुछ ज्यादा मायने नहीं थे लेकिन जब शिवपाल यादव ने आजम से जेल में जाकर मुलाकात की तो सियासी हलचल मच गया. शिवपाल के बाद आचार्य प्रमोद कृष्णन ने जेल जाकर आज़म खान से मुलाकात की. लेकिन जब एसपी का प्रतिनिधिमंडल आजम से मिलने गया तो उन्होंने उनसे मिलने से इनकार कर दिया. अचानक ही आजम खान एक बहुत बड़ी पहेली बन गए जिसे संभालना अखिलेश के लिए काफी मुश्किल हो गया है.
विपक्षी दलों की ओर से आजम को जबरदस्त समर्थन मिलने लगा है. एआईएमआईएम से लेकर कांग्रेस की तरफ से उन्हें पार्टी में शामिल होने के प्रस्ताव दिए जाने लगे. यहां तक कि बीएसपी ने भी आज़म खान की गिरफ्तारी की तीखी आलोचना की थी. मायावती ने इसे बीजेपी द्वारा आजम खान के राजनीतिक उत्पीड़न के रूप में करार दिया.
आज़म की रिहाई के बाद यूपी राजनीति में क्या बदलाव होगा?
सूत्रों के मुताबिक इसका सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को होगा "जब तक आजम सलाखों के पीछे थे तब तक विच-हंट का आरोप हम पर केन्द्रित था. मतदाताओं के एक बड़े हिस्से ने जो देखा उसे पसंद किया गया. हमें जो मदद मिली वह यह थी कि एसपी नेतृत्व (अखिलेश यादव पढ़ें) खुद बहुत उत्सुक नहीं थे और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश इस मुददे पर पूरी तरह से चुप थे. चुनाव नतीजे आने के बाद उन्हें जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ा लेकिन तब तक उनकी उम्मीदें धराशायी हो गईं थी.
"आज़म खान को लेकर उनकी अनिच्छा सभी को दिखाई दे रही थी. मुसलमानों ने अखिलेश के पक्ष में भारी मतदान किया, लेकिन परिणाम के बाद उन्हें सक्रिय नहीं देखा गया. जेल से बाहर आने के बाद आजम खान अखिलेश को उनकी बेरूखी की याद जरूर दिलाएंगे. इस अनबन से न केवल मुस्लिम वोटों का बंटवारा सुनिश्चित होगा बल्कि आज़म और शिवपाल एकजुट हो अखिलेश को कड़ी टक्कर देंगे. समाजवादी पार्टी के प्रथम परिवार की तरफ से "घायल और पस्त" आजम को किसी तरह का मदद न मिलना, एक तरह से अखिलेश को काफी परेशान करेगा. सूत्र ने News9 को बताया. बहरहाल, समाजवादी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. लेकिन यह स्पष्ट है कि अखिलेश यादव को अगला कदम सोच-विचार कर उठाना होगा जिससे उनकी पार्टी को और नुकसान न हो.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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Gulabi Jagat
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