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क्षेत्रीय आकांक्षाओं को लेकर चल रही भाजपा
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
वर्तमान राजनीतिक तस्वीर पर नजर दौड़ाएं तो भाजपा अपनी राजनीति तथा आगामी चुनावों की दृष्टि से बिल्कुल सुस्पष्ट दृष्टिकोण से तैयारियां कर रही है. बिहार की राजधानी पटना में भाजपा के सभी सात मोर्चों की संयुक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक इसी कड़ी के रूप में मानी जाएगी. तो क्या था इस बैठक का महत्व और यहां से क्या निकले संदेश?
उद्देश्य की दृष्टि से इसके कुछ बिंदु ध्यान देने योग्य होंगे-पहला, भाजपा की केंद्रीय टीम के अलावा सात मोर्चे हैं. युवा मोर्चा, किसान मोर्चा, महिला मोर्चा, पिछड़ा वर्ग मोर्चा, अनुसूचित जाति मोर्चा, अनुसूचित जनजाति मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा तो सबसे पहला उद्देश्य पार्टी के सभी मोर्चों के बीच सामंजस्य और एकता कायम करना था.
इन सारे मोर्चों के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अलग-अलग बैठकें करने से आपस में इनका मेलजोल अत्यंत कम होता था. एक साथ इन सबके बैठने का अर्थ यह हुआ कि पार्टी एकजुट होकर आगे काम करेगी. दूसरे, मुख्य पार्टी के बाद युवा मोर्चा को सर्वाधिक महत्व मिलता है. इस बैठक से सभी मोर्चे के सदस्यों को यह संदेश गया कि केंद्रीय नेतृत्व उनको समान महत्व देता है.
भाजपा का इस समय फोकस 2024 लोकसभा चुनाव और वहां पहुंचने के पहले आगामी विधानसभा चुनाव में भारी विजय प्राप्त करने पर है इसलिए तात्कालिक घटनाओं पर पार्टी की नीति रणनीति के पीछे भी बड़ा कारक यही होता है. इस दृष्टि से गृह मंत्री अमित शाह ने यह महत्वपूर्ण संदेश दिया कि बिहार में जदयू के साथ गठबंधन बना रहेगा तथा नेतृत्व नीतीश कुमार के हाथों ही रहेगा.
यह संदेश भले बिहार के लिए हो लेकिन इसके तीन महत्वपूर्ण मायने हैं. एक, भाजपा संदेश देना चाहती है कि गठबंधन के साथियों का वह पूरा सम्मान करती है एवं किसी को भी अस्थिर करने में विश्वास नहीं रखती. दूसरे, स्थानीय नेताओं के लिए यह निर्देश हैं कि वह इकाइयां गठबंधन साथियों के साथ तालमेल बनाकर राजनीतिक अभियान चलाएं. तीसरे, शक्तिशाली होते हुए भी भाजपा अकेले चुनाव लड़कर राष्ट्रीय राजनीति में एकाधिकार कायम करने की दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है. समझ सकते हैं कि इन संदेशों का महत्व कितना बड़ा है.
Rani Sahu
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