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- अश्विनी मिन्ना अवार्ड
किरण चोपड़ा: अश्विनी जी भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, परन्तु वह सदैव हमारे दिलों में जीवित हैं। मेरे बेटे तो मुझे कहते हैं पापा आपके साथ वो कभी गए नहीं तो आप ऐसे ही हमें दिखने चाहिएं जैसे उनके साथ दिखते थे। सच में मुझे हमेशा लगता है, महसूस होता है कि He is within me. वो कभी जा ही नहीं सकते। वो अपने हर रूप में जीवित हैं पति, पिता, दादा ससुर के रूप में एक आलराउंडर व्यक्ति, एक मुस्कराता व्यक्ति जो सर्वकला सम्पूर्ण थे। अश्विनी जी एक निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार तो थे ही लेकिन उसके साथ-साथ वो एक सफल राजनीतिज्ञ, एक क्रिकेट खिलाड़ी और एक मस्तमौला इंसान थे, जो जितनी देर जीवित रहे एक बेखौफ बादशाह की तरह जीवित रहे। शायद बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि वह गाना गाने के भी बहुत शौकीन थे। अक्सर अपने दोस्तों की महफिलों में गीत गाते थे। कहते हैं ना कि शारीरिक रूप से जाना तो सबने एक दिन है, परन्तु बहुत विरले लोग होते हैं जो हमेशा जीवित रहते हैं। उनमें अश्विनी जी भी एक ऐसे व्यक्ति हैं जो हमेशा हैं, थे और रहेंगे।क्यों न हम उनके हर रूप को जीवित रखें। इसी सोच के साथ हमने अश्विनी मिन्ना अवार्ड शुरू किया है, जो 11 जून को उनके जन्मदिन पर दिया जाएगा। उनकी पत्रकारिता को याद करते हुए जो बच्चे जेआर मीडिया इंस्टीट्यूट्स से (जो उनके दादा और पिता के नाम पर है) पत्रकारिता कर अपनी जिन्दगी में सफल हैं, उसे दिया जाएगा और दूसरा उन्हीं के नाम पर एक जरूरतमंद बच्चे को जो पढ़ना चाहता है स्कालरशिप दिया जाएगा। उसी तरह उनके क्रिकेट के रूप में देखते हुए मैंने डीडीसीए के प्रेजीडेंट को लिखा है कि एक क्रिकेट अवार्ड उनके नाम पर शुरू करें। उसी तरह एक सफल राजनीतिज्ञ को एक अवार्ड उनके राजनीति जीवन को याद करते हुए दिया जाएगा और उनकी संगीत, गाने की रुचि को देखते हुए और उनका अपने बच्चों के प्रति और सब बच्चों के प्रति प्यार को देखते हुए अपने 3 साल से लेकर 19 साल तक बच्चों की गायन प्रतियोगिता शुरू किया है, जिसमें से बेस्ट बच्चों को या जो गीत गाने की कोशिश में हैं उन्हें अवार्ड दिये जाएंगे। हां आप सब सोच रहे होंगे इतने अवार्ड। यही तो है अश्विनी जी की खासियत उनके कई रूप जो हमेशा उन्हें जीवित रखेंगे और जो भी यह सब अवार्ड हासिल करेंगे वह उनके उस रूप को याद करते हुए उनसे प्रेरणा लेंगे और दूसरे लोगों को प्रेरणा देंगे।संपादकीय :अखंड भारत का स्वप्नराजनाथ सिंह का 'रक्षा कौशल'भारत की शरण में श्रीलंकाजयशंकर की जय-जयघाटी : षड्यंत्र अभी जारी हैअम्बेडकर और दलित राजनीतियही नहीं 11 तारीख उनके जन्मदिवस के अवसर उनकी लाइफ को सैलिब्रेट करते हुए उन्हें याद करेंगे। उनके ही मित्र गाना गाएंगे, चाहे वो मित्र गायक हैं, डाक्टर हैं, राजनीतिज्ञ हैं, क्रिकेटर हैं सब इकट्ठे होकर हर साल यह प्रोग्राम रहेगा।क्योंकि उनकी बातें उनकी याद हर लम्हें मेरे दिल में तो हैं ही बहुत से असंख्य लोगों के दिलों में उन्होंने अमिट छाप छोड़ी है। पिछले दिनों जब पाकिस्तान का पीएम बदला तो हमारे बहुत पुराने फोटोग्राफर जो हमारे परिवार की तरह हैं डीपी पप्पू का फोन आया कि भाभी जी जब अश्विनी जी अटल जी के साथ बस में गए थे तो इन्होंने पंजाबियों को चाय पर बुलाया था बादल साहब, सरदार त्रिलोचन सिंह जी और भी थे तब इनकी इनके साथ कश्मीर पर बहस हो गई थी तो यह उनसे नाराज होकर उठकर आए थे तब सबने कहा था कि अश्विनी जी ऐसा मत करो आप उनके देश में हो, कोई नुक्सान ना पहुंचा दे तो उन्होंने कहा मैं नहीं डरता मैं अपने देश अपने कश्मीर के बारे में नहीं सुन सकता क्या कमाल के साहसी थे।यही नहीं जब कल आदरणीय मोहन भागवत जी ने अखंड भारत के बारे में बयान दिया तो अश्विनी जी के पार्लियामेंट के कई साथियों ने मुझे फोन करके कहा कि अश्विनी जी के पार्लियामेंट में यह बड़ा जोरशोर से बोला था-यह सच है मैंने भी देखा और अब भी उनकी यूट्यूब में वीडियो है जिसमें वह कहते हैं हमारा पाकिस्तान और उस समय के कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जन खडगे जी उनको कहते हैं कि अश्विनी जी आपका सम्पादकीय पढ़ता हूं, आप पाकिस्तान को कैसे कह रहे हैं तब उन्होंने बोला था आज नहीं तो कल हो जाएगा मैं अखंड भारत की कल्पना करता हूं, वो 2 दशक से 370, राम मंदिर के बारे में लिख रहे थे वो पूरी हुई। मुझे आशा है यह भी सपना भागवत जी और मोदी जी के माध्यम से पूरा होगा।यही नहीं पूर्व राज्यसभा सदस्य और सिख अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन त्रिलोचन सिंह का फोन आया, जो अक्सर अश्विनी जी के जाने के बाद हाल पूछते रहते हैं। उन्होंने भी उनके साथ अपनी कई यात्राओं को याद किया और कहा कि मेरा यार चला गया पर उस दियां यादां बहुत ने और तुम दोनों ने बहुत मेहनत की और बहुत इज्जत पाई। यही नहीं मुझे याद है हम एक बार अरुण जेटली, उमा भारती, रजत शर्मा के साथ कोलकाता मैच देखने गए। जैसे ही हम कोलकाता एयरपोर्ट पहुंचे वहां तैनात बहुत से पुलिसकर्मी सीआरपीएफ के लोग अश्विनी जी को मिलने आए और जब वापिस आए तो एयरहोस्टेज ने अश्विनी जी को पहचाना जो उनके साथ कई बार पीएम की यात्रा पर गई थी। यही नहीं उसने कहा आपको कैप्टन बुला रहे हैं क्योंकि हवाई जहाज को उड़ाने वाला उनका क्लास फैलो था। जब हम जहाज से उतर रहे थे तो अरुण जेटली ने कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा तेरी उम्र क्या है, हर छोटा-बड़ा तुझे जानता है, तुम्हें प्यार करता है, तुम्हारी शरारतें याद करता है।तो ऐसे थे अश्विनी जी जिनके बारे में जितना भी लिखूं कम है। इसलिए मैं उनकी जीवनी पर ईट्स अवर लाइफ जो जितनी भी लिखूंगी कम है। क्योंकि वह एक सच्चे देशभक्त, ईमानदार, राजनीतिज्ञ, निर्भीक, निष्पक्ष पत्रकार, क्रिकेटर थे तो उनके नाम पर अवार्ड तो बनते हैं।