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- सेना और कत्र्तव्य
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पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से ईडी, सीबीआई, एनआईए आदि सारी की सारी जांच एजेंसियों ने सक्रियता बढ़ाई है उससे यह सारी एजेंसियां चर्चा का विषय बने हुई हैं। सत्ता और विपक्ष दोनों के हितैषियों के बीच हर दिन इन एजेंसियों की सक्रियता को लेकर सोशल मीडिया, अखबार व प्रिंट मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में घंटों वा-विवाद चल रहा है। विपक्ष को लगता है कि सत्ता पक्ष इन एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी राजनेताओं पर दबाव बनाने के लिए कर रहा है, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि यह एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना कत्र्तव्य निभा रही हैं। आजादी के 75 साल तक जिन लोगों ने अनैतिक तरीके से जो धन दौलत और संपत्ति इक_ी की है, उसकी जांच होना देश हित के लिए जरूरी है। एक पक्ष यह भी कह रहा है कि सत्ता पक्ष इन एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी पार्टियों की सरकारों को गिराने के लिए तथा उनके राजनेताओं तथा विधायकों को पहले दबाव बनाकर और उसके बाद खरीद-फरोख्त करके सरकारों को गिरा रहे हैं।
इस सब में सच्चाई क्या है, यह देश का हर नागरिक देख भी रहा है और अपने ढंग से आकलन भी कर रहा है। उधर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका के बार-बार कहने के बावजूद रूस ने कहा है कि वह जरूरत पड़ी तो परमाणु हथियार भी इस्तेमाल कर सकता है, यूक्रेन को हल्के में लेने वाला रूस आज महीनों बीत जाने के बाद भी यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर पाया है और उसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि नाटो, अमेरिकन तथा यूरोपियन देशों द्वारा यूक्रेन को हथियार आदि की हरसंभव सहायता लगातार मुहैया करवाई जा रही है, जो कि आज रूस के लिए नाक का सवाल बना हुआ है। आजादी के 75 वर्ष बाद भारतीय सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया, जब राजपथ का नाम बदलकर कत्र्तव्य पथ रखा, जो कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में पूर्व भर्ती राजपथ से सार्वजनिक स्वामित्व और अधिकारिता का उदाहरण बना है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है जहां 23 जनवरी 2022 पर होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था। कर्तव्य पथ आधुनिक सुविधाओं के साथ समृद्ध भारतीय संस्कृति की झलक को अपने आप में समाहित करके रखेगा।
कर्तव्य पथ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की 28 फीट ऊंची प्रतिमा, पथ के दोनों तरफ लाल ग्रेनाइट का बना हुआ करीब 15 किलोमीटर का वॉकिंग प्लाजा, नहर के ऊपर डाले गए दासियों पुल, फूड स्टॉल की व्यवस्था तथा पथ की दोनों तरफ बैठने के लिए बेंच आदि लगाना, पैदल यात्रियों के लिए अंडरपास, सीसीटीवी कैमरे तथा पार्किंग की व्यवस्था करके कर्तव्य पथ को एक यादगार और मनोरम स्थल बनाया गया है। 102 साल के इतिहास में इस मार्ग का नाम तीन बार बदला गया है। ब्रिटिश राज में निर्मित इस पथ का नाम किंग्सवे था, जिसे आजादी के बाद बदलकर राजपथ कर दिया गया। राजपथ वही मार्ग है, जहां 26 जनवरी को परेड निकलती है। अब राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया है। सरकार मानती है कि जहां पर 26 जनवरी को हम अपने देश की खूबसूरती तथा तरक्की का प्रदर्शन जिस मार्ग पर करते हैं, उस मार्ग का नाम राजपथ रखना गुलामी का प्रतीक है और कर्तव्य पथ इसका नाम रखने से असली आजादी का अहसास होता है।
कर्नल (रि.) मनीष
स्वतंत्र लेखक
-क्रमश:
By: divyahimachal
Rani Sahu
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