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- और बढ़ेगी महंगाई की...
महंगाई बर्दाश्त की हद के पार चली गई है। इस साल दिसंबर तक महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं हैं। नागरिक उम्मीद भी न करें। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण सप्लाई चेन प्रभावित हुई है, नतीजतन महंगाई बढ़ रही है। इसे काबू करने के लिए सख्त कदम उठाने पड़े हैं।' यह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का, रेपो रेट बढ़ाने की घोषणा करने के बाद, महंगाई पर स्पष्टीकरण है। यह पहली बार हुआ है कि देश के केंद्रीय बैंक को सवा माह में ही दोबारा रेपो रेट बढ़ाना पड़ा है। बीती 4 मई के बाद 8 जून को रेपो रेट में वृद्धि के बाद अब कुल 4.90 फीसदी रेट बढ़ चुका है। यही अंतिम घोषणा नहीं है। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक, मौजूदा रेपो रेट अब भी कोरोना-पूर्व के स्तर से 25 आधार अंक कम है, लिहाजा रेपो रेट में 75 आधार अंकों की बढ़ोतरी की जा सकती है। रेपो रेट की बढ़ोतरी के सीधे मायने हैं कि आम नागरिक के घर, वाहन, शिक्षा और पर्सनल लोन की मासिक किस्तें महंगी हो जाएंगी। महंगाई के अलावा, औसत उपभोक्ता पर कर्ज़ की मार और भी तीखी हो जाएगी। महंगाई की दर, मुद्रास्फीति को लेकर केंद्रीय बैंक अपनी भूमिका निभाने में नाकाम रहा है, क्योंकि पिछली तीन तिमाहियों से मुद्रास्फीति लगातार 6 फीसदी से अधिक है। रिजर्व बैंक ने यह अधिकतम सीमा तय कर रखी थी कि मुद्रास्फीति इससे कम स्तर पर ही रहेगी, लेकिन आज खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी से ज्यादा है।
सोर्स- divyahimachal