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- Amit Shah : सभी भारतीय...
प्रो. रसाल सिंह।
संसदीय राजभाषा समिति की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अंग्रेजी के विकल्प के रूप में हिंदी को अपनाने का आग्रह किया। दुर्भाग्य से इस आग्रह को लेकर दुराग्रह का प्रदर्शन शुरू हो गया है। हालांकि गृह मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा था कि हिंदी का विकास और विस्तार भारतीय भाषाओं की कीमत पर नहीं, बल्कि अंग्रेजी के बरक्स होना चाहिए, लेकिन कुछ विरोधवादियों को उनकी यह बात रास नहीं आई। इनमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन, एआर रहमान और प्रकाश राज जैसे लोग भी शामिल हैं। अमित शाह का कथन इस संदर्भ में विशेष महत्व रखता है कि अभी देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने के लिए जोर-शोर से काम हो रहा है। इस नीति में शिक्षा का माध्यम मातृभाषाओं को बनाने पर विशेष बल है, किंतु वर्तमान शैक्षिक-सांस्कृतिक परिदृश्य में यह कार्य चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि भारतीय भाषाएं औपनिवेशिक भाषा अंग्रेेजी से आशंकित और असुरक्षित हैं। अंग्र्रेजी धीरे-धीरे भारतीय भाषाओं को लीलती जा रही है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हिंदीतर 21 भारतीय भाषाओं की जगह बौद्धिक जगत में क्रमश: सिकुड़ती जा रही है। सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन, शासन-प्रशासन, बाजार-व्यापार के अलावा शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्र्रेजी ने बढ़त बनाई है। यह आज की बड़ी चुनौती है।