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- बाथरूम में हूं
उनसे तो असलियत क्या बताऊँ, यही कह पाता हूँ कि डॉक्टर ने साफ-सफाई के प्रति जागरूक रहने को कहा है, सो ज्यादा समय वहीं रहना पड़ता है। वे रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहते हैं-'थोड़ा लिखना-पढऩा रेगुलर करो। इस तरह कैसे चलेगा। इस तरह तो आपका लेखक मर जाएगा।' मैं मन में सोचता हूँ कि उनकी बकवास से मरने की एवज बिना लिखे-पढ़े मर जाना ज्यादा बेहतर है। उधार माँगने वालों से पूरी तरह सुरक्षित हूँ। वे फोन पर ही झल्लाते हैं-'उन्हें निकालिए बाथरूम से। पूरा एक साल गुजर गया-कब देंगे हमारी उधारी?' पत्नी घाघ हो गई है, कहती है-'उन्हें पहले बाथरूम से बाहर आने दो, पता करती हूँ कि उन्होंने आप जैसे अव्यावहारिक आदमी से उधार क्यों ली? उधार ली है तो मर थोड़े ही रहे हैं हम। एक-एक पाई चुका देंगे, लेकिन बातचीत ढंग से किया करो। थोड़ी तमीज सीखो।' उधार उगाहने वाले दुर्जन ठंडे पड़ जाते हैं-'वह क्या था? जब भी फोन करता हूँ, तब वे बाथरूम में होते हैं। कभी बाहर भी तो मिलें।' पत्नी कह देती है-'अब आप फोन ही तब करते हैं, जब वे बाथरूम में होते हैं।' वे कहते हैं-'अच्छा थोड़ी देर बाद में फोन कर लूँगा।' वे पुन: फोन करते हैं, तब तक मैं ऑफिस चला जाता हूँ। कुछ लोग मुझे मेरे दफ्तर के काम से फोन करते हैं। उन्हें भी मैं बाथरूम में मिलता हूँ। उनकी माँग होती है कि उन्हें जरूरी काम था। पत्नी कहती है कि जरूर होगा आपको जरूरी काम अन्यथा आप टेलिफोन करते ही क्यों। वे कहते हैं-'कब तक बाहर आएंगे वे।' पत्नी कहती है कि बाहर आ गए तो बीमार हो जाएंगे तथा ऑफिस नहीं जाएंगे, क्योंकि बाथरूम में ज्यादा समय रहने से उन्हें जुकाम हो गया है।
By: divyahimachal