सम्पादकीय

Air Pollution: मौत का कारण अगर प्रदूषण से संबंधित है, तो डेथ सर्टिफिकेट पर लिखा जाना चाहिए: एक्सपर्ट

Rani Sahu
20 May 2022 10:09 AM GMT
Air Pollution: मौत का कारण अगर प्रदूषण से संबंधित है, तो डेथ सर्टिफिकेट पर लिखा जाना चाहिए: एक्सपर्ट
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द लैंसेट (The Lancet) में छपी एक रिसर्च के मुताबिक, 2019 में वायु प्रदूषण (Air Pollution) के कारण देश में 24 लाख मौतें हुईं

डॉ. संजय कुलश्रेष्ठ

द लैंसेट (The Lancet) में छपी एक रिसर्च के मुताबिक, 2019 में वायु प्रदूषण (Air Pollution) के कारण देश में 24 लाख मौतें हुईं. ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है. एक्टीविस्ट इस मुद्दे पर बात करते रहे हैं और बताते रहे हैं कि कैसे खराब वायु गुणवत्ता (Bad Air Quality) और फेफड़ों की विभिन्न बीमारियों (Lungs Diseases) के बीच सीधा संबंध है. भले ही डॉक्टर भी अनौपचारिक रूप से गंभीर वायु प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियों में बढ़ोतरी के संकेत दे रहे हैं, लेकिन कोई भी यह बताने को तैयार नहीं है कि वायु प्रदूषण ही बीमारी का मुख्य कारण है.
कोई भी कानून डॉक्टरों को यह लिखने से नहीं रोकता है कि कोई मौत वायु प्रदूषण की वजह से हुई. डॉक्टरों को केवल मृत्यु के प्रत्यक्ष कारण का उल्लेख करना आवश्यक होता है. जैसे दिल का दौरा, गुर्दे की विफलता या कैंसर वगैरह. यह उल्लेख करना अनिवार्य नहीं है कि इससे जुड़ा कारण प्रदूषण था या कुछ और. मैं इस प्रैक्टिस में विश्वास नहीं करता. मुझे लगता है कि मृत्यु का कारण यदि किसी भी तरह से प्रदूषण से संबंधित है तो डेथ सर्टिफिकेट पर इसे लिखा जाना चाहिए.
हमें रोग और वायु प्रदूषण के संबंधों पर और अध्ययन की जरूरत है
डॉक्टरों को यह लिखने के लिए कि मृत्यु का कारण वायु प्रदूषण है, उसके लिए एक रिसर्च होनी चाहिए, जो यह बताए कि मौत वाकई वायु प्रदूषण की वजह से हुई है या नहीं.
मिसाल के तौर पर चीन ने भ्रूण ( गर्भ में पल रहा बच्चा) वायु प्रदूषण के प्रभाव पर एक विस्तृत अध्ययन किया था. उन्होंने खराब हवा के कारण रक्त की रीडिंग में उतार-चढ़ाव का अध्ययन किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि प्रदूषण का सीधा प्रभाव नवजात बच्चे की हेल्थ पर पड़ता है. वे स्वीकार करते हैं कि कुछ बीमारियां वास्तव में वायु प्रदूषण के कारण होती हैं.
वायु प्रदूषण के प्रभाव पर रिसर्च होनी चाहिए
भारत को भी श्वसन रोग और वायु प्रदूषण के बीच सीधा संबंध जानने के लिए एक रिसर्च करना चाहिए. इस तरह के अध्ययन को हमने अब तक नजरअंदाज किया है.
इस शोध कार्य का एक और फायदा है – लोगों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि वायु प्रदूषण का उनके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. इस तरह के अनुसंधान से लोगों को जागरूक बनाया जा सकता है. इससे पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण के संबंध में बड़े नीतिगत बदलाव हो सकते हैं. उन्हें वायु प्रदूषण के विभिन्न पहलुओं के साथ इसके कारणों का अध्ययन करना होगा. क्या यह वाहन, पराली जलाने, औद्योगिक प्रदूषण या फिर किसी के व्यक्तिगत कार्यों की वजह से प्रदूषण फैल रहा है?फिलहाल तो सरकार या निजी पार्टियों द्वारा ऐसे किसी अध्ययन या शोध का प्रस्ताव सामने नहीं आया है.
वायु प्रदूषण से होने वाले रोग को रोका जा सकता है?
वायु प्रदूषण के कारण होने वाली किसी भी बीमारी को रोका जा सकता है. सभी डाक्टरों का फोकस यह होना चाहिए कि वे मरीज की बीमारी के कारण का पता लगाएं न कि सिर्फ इलाज. यदि हमारे पास एक रिसर्च होगी, जिसमें वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की जानकारी होगी, तो हम प्रदूषण के स्तर को सामान्य स्तर पर लाने के लिए कदम उठा सकते हैं. जब ऐसा होगा तो लो स्वच्छ हवा में सांस लेंगे और कुछ समय बाद हमारा स्वास्थ्य भी सुधर जाएगा.
यह समय की मांग है कि फैसला लेने वाले लोग इस हकीकत के प्रति जागरूक हों कि प्रदूषण की वजह से लोगों का जीवन काल कई वर्षों तक कम हो जाता है. हमें तुरंत काम शुरू करना होगा ताकि हमारे स्वास्थ्य का और अधिक नुकसान न हो.
Rani Sahu

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