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- अदालती दखल के बाद
देश में ओमिक्रॉन स्वरूप के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दख़ल सकारात्मक और राष्ट्रीय है। क्रिसमस के त्योहार और नए साल के जश्न पर तो कुछ पाबंदियां थोप दी गई हैं, लेकिन उनसे कई सौ गुना भीड़ चुनावी रैलियों में जुटाई जाती है। अदालत ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि जनता को कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचाने के लिए राजनीतिक दलों की रैलियों पर रोक लगाई जाए। उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री मोदी से भी अनुरोध किया है कि वह फरवरी-मार्च में होने वाले चुनावों को टालने पर विचार करें। चुनाव एक या दो महीने आगे सरकाए जा सकते हैं, क्योंकि जान है तो जहान है। अब प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग की प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार है। हालांकि ओमिक्रॉन संक्रमण इतना भयावह नहीं है कि पाबंदियां थोपना शुरू किया जाए। प्रधानमंत्री ने भी 2 घंटे से ज्यादा की समीक्षा-बैठक के बाद 'सतर्कता' और 'सावधानी' की ही अपील की है। बेशक स्वास्थ्य का पूरा ढांचा मजबूत होना चाहिए। जो दरारें देश ने दूसरी लहर के दौरान देखी थीं, वे अब नहीं होनी चाहिए। उम्मीद है कि ऑक्सीजन के प्लांट कार्य कर रहे होंगे। अस्पतालों में बिस्तरों की समुचित व्यवस्था कर ली गई होगी। दवाओं के बफर स्टॉक तैयार कर लिए गए होंगे। आईसीयू और वेंटिलेटर की व्यवस्था भी पर्याप्त होगी। यह इस देश के आम नागरिक की उम्मीद है, लेकिन यह भी सच है कि भारत में ओमिक्रॉन के संक्रमित केस 355 तक पहुंच चुके हैं। एक ही दिन में रिकॉर्ड 89 केस बढ़े हैं। तमिलनाडु में सबसे अधिक 33 केस, महाराष्ट्र में 23, तेलंगाना में 14, कर्नाटक में 12 मामले एक ही दिन में दर्ज किए गए हैं। कुल मिलाकर 88 मामलों के साथ महाराष्ट्र शीर्ष पर है। रुझान सामान्य नहीं हैं। देश की राजधानी दिल्ली में बीते एक पखवाड़े के दौरान कोरोना के 96 फीसदी मामले बढ़े हैं। ये तमाम आंकड़े आधे-अधूरे हैं, क्योंकि जीनोम सीक्वेंसिंग की रपट औसतन 48-72 घंटे के बाद मिल पाती है। देश में कुल 38 लैब्स ही हैं। भारत का यह औसत 0.5 फीसदी है।
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