सम्पादकीय

अंतरिक्ष में बढ़ता कचरा

Admin2
9 Aug 2022 7:56 AM GMT
अंतरिक्ष में बढ़ता कचरा
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पिछले करीब पचास वर्षों के दौरान अंतरिक्ष में भेजे गए संचार उपग्रहों, प्रयोगशालाओं, मानवरहित यानों, मालवाहक यानों और मानव-मिशनों के कारण पृथ्वी से बाहर एक विशाल कबाड़ घर बन गया है। इसके अलावा प्रकृति ने भी अंतरिक्ष में हमारी पृथ्वी के नजदीक ऐसे हजारों छोटे-बड़े पिंड तैनात कर रखे हैं, जो किसी भी वक्त पृथ्वी के वायुमंडल में घुस कर मानव सभ्यता के संपूर्ण विनाश का खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।अंतरिक्ष में बढ़ता कचरा धरती के लिए गंभीर समस्या बनता जा रहा है। यह कचरा मानव निर्मित तो है ही, उससे भी ज्यादा ब्रह्मांडीय पिंडों का है। असंख्य छोटे-बड़े उल्का पिंड लगातार बनने-टूटने की स्थिति में रहते हैं। सृष्टि का यह चक्र कभी थमने वाला नहीं है। पर मानवनिर्मित अंतरिक्ष कचरे से धरतीवासियों के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजंसी- नासा भी इससे चिंतित है।

इस बारे में विज्ञान पत्रिका- साइंस में नासा के विज्ञानियों जे.सी. लियो और एन.एल. जानसन ने एक शोध रिपोर्ट में लिखा है कि हमारे करीबी अंतरिक्ष में मानव निर्मित नौ हजार से ज्यादा ऐसे टुकड़े पृथ्वी की कक्षा में तैर रहे हैं जो आने वाले वक्त में भयावह दृश्य उपस्थित कर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर जारी अंतरिक्ष अभियानों को बिल्कुल रो दिया जाता है (जो कि अब संभव नहीं है), तो भी अंतरिक्ष में इतने उपग्रह आदि मौजूद हैं कि उनसे वहां कबाड़ की मात्रा में इजाफा होता ही रहेगा।
इस पूरे प्रसंग में सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि इस कबाड़ को समेट कर पृथ्वी पर वापस लाने की कोई योजना नहीं है। हालांकि कई देश अब इस अंतरिक्षीय कचरे पर नजर रखने की योजनाएं बना रहे हैं और उन्हें लागू कर रहे हैं। कुछ समय पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष स्थितिपरक जागरूकता एवं प्रबंधन निदेशालय (डीएसएसएएम) की स्थापना की, जो अंतरिक्ष के कबाड़ पर नजर रखता है। इस निदेशालय से मिली सूचनाओं के आधार पर पिछले साल इसरो ने अपने उपग्रहों को कचरे की टक्कर से बचाने के लिए बीस बचाव अभियान संचालित किए।
प्रश्न यह है कि यह कचरा आखिर आता कहां से है। एक आम धारणा यह है कि यह कचरा सौरमंडल में ही क्षुद्र ग्रहों की टूट-फूट से पैदा होता है। कुछ कचरा बाहरी अंतरिक्ष से उल्काओं के रूप में भी आता है। पर यह समस्या तब ज्यादा बढ़ने लगी जबसे मानव ने अंतरिक्ष में अपने यान भेजने शुरू किए और विभिन्न उद्देश्यों से कृत्रिम उपग्रहों को अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित करना शुरू किया। इनमें से जब कुछ उपग्रहों ने काम करना बंद कर दिया या फिर यानों से कुछ चीजें अंतरिक्ष में बाहर निकल गर्इं या उनमें टूट-फूट हो गई, तो ये सब कबाड़ में तब्दील होते चले गए। सोर्स-jansatta
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