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- डेटा संरक्षण विधेयक
आखिरकार सरकार को डेटा संरक्षण विधेयक वापस लेना पड़ा। अब इसकी जगह एक नया कानून लाया जाएगा, जो अधिक पारदर्शी, व्यापक और व्यावहारिक होगा। कहा जा रहा है कि नया कानून तैयार करने से पहले आम लोगों से भी इस संबंध में सलाह ली जाएगी। दरअसल, डेटा संरक्षण विधेयक ढाई साल पहले सदन में पेश किया गया था, जिस पर विपक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई थी।तब उसे संयुक्त संसदीय समिति को समीक्षा के लिए भेज दिया गया था। समिति ने साल भर बाद उससे संबंधित अपनी रिपोर्ट पेश कर दी थी। उसमें इक्यासी संशोधन और बारह सिफारिशें प्रस्तावित की गई थीं। जाहिर है, इतने संशोधनों के सुझाव का अर्थ है कि कानून में भारी खामी थी। उसे नए ढंग से तैयार करना और व्यापक विचार-विमर्श के साथ ही उस पर आगे बढ़ना उचित था। इसलिए सरकार ने उसे वापस लेना सही समझा। मगर इस तरह सरकार के अपना कदम वापस खींचने से विपक्ष को एक बार फिर सरकार पर तंज कसने का मौका मिल गया है। विपक्ष कह रहा है कि अगर इस विधेयक को सदन में रखा गया तभी ठीक से बहस हो जाती, तो आज यह स्थिति नहीं आती।