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भारत में बुजुर्ग लोग जनसंख्या का 13.8 फीसद यानी लगभग 14 करोड़ के आसपास हैं! अपनी जवानी के दिनों में इन वरिष्ठ नागरिकों ने देश के विकास, व्यापार, उद्योग, शिक्षा, प्रशासन, चिकित्सा आदि के क्षेत्र के अलावा अरबों रुपया टैक्स देकर देश के प्रति अपना बहुमूल्य योगदान दिया। लेकिन अफसोस की बात यह है कि विभिन्न सरकारों की तरह वर्तमान सरकार भी वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अपने कर्तव्य से विमुख हो रही हैं।हाल ही में सरकार ने वित्तीय संकट का मुकाबला करने के लिए वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा करते समय जो 50 फीसद की छूट दे रखी थी, उसे वापस ले लिया। सरकार का कहना है कि इस कदम से उसे 1500 करोड़ रुपए की आमदनी प्राप्त होगी।
इतनी सी छोटी आमदनी के लिए सरकार के द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को निराश करना न केवल शर्मनाक है, बल्कि सरकार की वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अपने कर्तव्य को नहीं निभाना भी है। बहुत सारे ऐसे वरिष्ठ नागरिक भी हैं जो इलाज के लिए रेल द्वारा एक जगह से दूसरी जगह यात्रा करते हैं। रेल यात्रा में किराए में छूट मिलने के कारण उनके लिए इलाज करवाना आसान हो जाता है।कुछ वरिष्ठ नागरिक अपने बुढ़ापे में रेल द्वारा तीर्थ स्थानों की यात्रा करते हैं। यहां भी रेल भाड़े में छूट के कारण उनके लिए यात्रा करना संभव तथा आसान हो जाता है। इसके अलावा लोगों को सामाजिक दृष्टि से भी समय-समय पर रेल द्वारा एक जगह से दूसरी जगह जाकर अपने सामाजिक दायित्वों को निभाना पड़ता है।
लेकिन अब सरकार के द्वारा रेल यात्रा में पचास फीसद छूट वापस लेने के कारण वरिष्ठ नागरिकों के लिए अन्य स्थानों पर जाना कठिन हो जाएगा। सरकार कारपोरेट जगत को हर साल अरबों रुपए की सबसिडी देती है। उसके मुकाबले में वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा में 50 फीसद छूट देकर केवल 1500 करोड रुपए खर्च करना सरकार के लिए बहुत मामूली बात है।
शाम लाल कौशल, रोहतक
सोर्स जनसत्ता
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