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जब विमान कंपनियों के पास धन की कमी होती है, तो वे अक्सर एक विमान के पुर्जों का इस्तेमाल दूसरे विमानों में करती हैं। इससे सुरक्षा खतरे में पड़ती है। आपात स्थिति में विमान उतारने जैसे मामलों में हुई बढ़ोतरी बताती है कि रखरखाव और निगरानी में कुछ दोष अवश्य हैं।जब से ऊंची श्रेणियों का रेल किराया विमान यात्राओं के लगभग बराबर हुआ है, हवाई यात्रा का विकल्प ही बेहतर समझा जाने लगा है। सड़क हादसों के आंकड़े देखें, तब भी विमान यात्रा ज्यादा सुरक्षित लगती है। लेकिन उड़ते विमान की खिड़की का शीशा चटक जाए, इंजन से लपटें निकलती देख यात्रियों की सांसें अटकने लगें या केबिन से धुआं आने की सूरत में विमानों को आपात स्थिति में दूसरे देशों में उतारने की नौबत आ जाए, तो विमान सेवाओं पर सवाल क्यों नहीं उठेंगे? सुरक्षा से जुड़े ऐसे मुद्दे केवल किसी एक विमानन कंपनी तक सीमित नहीं हैं। हाल में कई कंपनियों के विमानों में उड़ान के दौरान ऐसी गंभीर समस्याएं देखने को मिलीं हैं जो यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद गंभीर हैं।
jansatta