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भारत ने अपना भावी राष्ट्रपति चुन लिया, यह समग्रता में देश के लिए खुशी और उत्सव का समय है। ठीक एक महीने पहले 21 जून को जब भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा की थी, तभी यह लगभग तय हो गया था कि देश को पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति मिलने जा रही है। इनके नाम की घोषणा से विपक्ष बुरी तरह डगमगा गया, उसमें दरारें दिखने लगीं। राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा को आगे करने वाली तृणमूल कांग्रेस में भी हिचकिचाहट पैदा हो गई। ओडिशा के लिए यह खुशी का मौका था कि पहली बार कोई ओडिया राष्ट्रपति बनने जा रहा था, तो बीजू जनता दल खुलकर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में आ गया। इस बीच महाराष्ट्र में भाजपा विरोधी गठबंधन की सरकार गिर गई और भाजपा के समर्थन से जब सरकार बनी, तब साफ हो गया कि महाराष्ट्र से भी अब द्रौपदी मुर्मू के वोट बढ़ जाएंगे।