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देश के पंद्रहवें राष्ट्रपति के लिए हुए चुनाव में तस्वीर साफ हो चुकी है और अब द्रौपदी मुर्मू इस पद पर चुने जाने के साथ ही प्रथम नागरिक के तौर पर जानी जाएंगी। मतों की गिनती के बाद जैसा नतीजा सामने आया, उससे साफ है कि द्रौपदी मुर्मू का पक्ष हर स्तर पर भारी रहा। हालांकि उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में यशवंत सिन्हा ने इस लड़ाई में टक्कर देने की कोशिश की और इसके लिए उन्होंने अपने स्तर पर अलग-अलग राज्यों और राजनीतिक दलों से संपर्क में कोई कमी नहीं छोड़ी। पहले ही द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में एकतरफा रुख दिखने के बावजूद यशवंत सिन्हा ने 'अंतरात्मा की आवाज' का हवाला देकर वोट देने की अपील की थी।इसके अलावा, उन्हें क्रास वोटिंग की भी उम्मीद थी। मगर आखिरकार उनके पक्ष में अपेक्षित मत नहीं आ सके। इसके समांतर, द्रौपदी मुर्मू ने भी अपने पक्ष में स्पष्ट समर्थन के बावजूद वोट के लिए व्यापक पैमाने पर राजनीतिक दलों और नेताओं से संपर्क किया। अब इस सबका असर उनकी जीत के रूप में सामने है। यों मतगणना के दूसरे चक्र के बाद ही यह स्पष्ट हो गया था कि नतीजा द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में आने जा रहा है, मगर तीसरे चक्र की मतगणना में राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी पचास फीसद वोट हासिल कर लेने के बाद उनकी जीत की घोषणा हो गई।