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अप्रत्याशित तो नहीं, मगर चिंतित करने वाली खबर जरूर है कि मंगलवार को भारतीय मुद्रा, यानी रुपया अपने निम्नतम स्तर पर आ गया। एक डॉलर के मुकाबले उसकी कीमत 80.05 रुपये आंकी गई। जाहिर है, मुद्रा के मूल्य में किसी गिरावट का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है और पहले से ही असह्य महंगाई से जूझ रहे आम भारतीय के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। हालांकि, सत्ता में बैठे लोग अब भी कह रहे हैं कि अन्य विदेशी मुद्राओं की तुलना में रुपये की स्थिति बहुत बेहतर है, इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था बुनियादी तौर पर मजबूत है। चिंता की बात यह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद लोकसभा में यह माना है कि दिसंबर 2014 से अब तक देश की मुद्रा 25 प्रतिशत तक गिर चुकी है। ऐसे में, महंगाई से फौरन छुटकारा मुश्किल दिख रहा है, क्योंकि इस गिरावट से आयात महंगा हो जाता है, और विदेशी मुद्रा भंडार भी प्रभावित होता है। ऐसे में, भारतीय रिजर्व बैंक के लिए भी ब्याज दरों को लंबे समय तक नीचे रखना कठिन हो जाएगा। गौर कीजिए, पिछले सात महीनों में ही रुपये में करीब सात फीसदी की गिरावट आ चुकी है।