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- सत्ता के पतन
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में बोरिस जॉनसन का इस्तीफा मात्र एक असाधारण राजनीतिक घटना नहीं है। प्रधानमंत्री कार्यालय में उनका कार्यकाल और जिस तरह से उनका इस्तीफा हुआ, उसकी प्रकृति-लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाते हैं। एक नेता की नैतिक कमियों पर संपूर्ण राजनीतिक संस्कृति की विफलता का दोष मढ़ना हमें ईमानदार महसूस करा सकता है, लेकिन हममें से ज्यादातर लोग जानते हैं कि सड़ांध एक तेज-तर्रार चरित्र की तुलना में कहीं अधिक गहरी है। केवल ब्रिटेन में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के लिए जॉनसन के पतन को एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में लिया जा सकता है।कुछ लोगों ने तर्क दिया है कि ब्रेग्जिट जनमत संग्रह से पहले की राजनीतिक बहस पतन की शुरुआत थी, कि जनता की उम्मीदों और आशंकाओं का राजनीतिक नेताओं द्वारा निंदनीय रूप से दोहन किया गया है। ये राजनेता अपने स्वयं के संदेशों के निष्कर्षों पर भी भरोसा नहीं करते थे। जॉनसन के शासन का इसलिए पतन हो गया, क्योंकि ऐसा लग रहा था कि जो सच है और जो राजनीतिक रूप से उपयुक्त है, उनके बीच कोई अंतर नहीं है। एक बार जब यह अंतर समाप्त हो जाता है, तो लोकतांत्रिक बहस अस्थिर हो जाती है और राजनीतिक संचार स्थायी डिकोडिंग का विषय बन जाता ह।