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- महाबली का पतन
जनता से रिश्ता : शिवसेना के चौबीस विधायकों को लेकर शिवेसना के नेता और मंत्री एकनाथ शिंदे ज्यों ही सूरत के पांच सितारा में गए, त्यों ही वे खबरों के केंद्र में आ गए। उनके विचारों के समर्थक विधायकों की संख्या बढ़ते-बढ़ते अड़तीस तक पहुंच गई और उद्धव के साथ सोलह-सत्रह ही रह गए। चैनलों में हल्ला रहा कि सरकार अब गई कि तब गई।जैसे ही तीनों सेनापतियों ने प्रेस कान्फ्रेंस के जरिए 'अग्निपथ' के बारे में विस्तार से बताया, वैसे ही विरोधी ठंडे हो गए। उन्होंने साफ कहा कि अग्निपथ योजना वापस नहीं होगी… जो प्रदर्शन और तोड़-फोड़ में रहे उनको नहीं लिया जा सकता। फिर चार साल बाद इन्हें उन पुलिस बलों में नौंकरियां मिलेंगी, बड़ा बीमा होगा आदि इत्यादि, तो सारा विरोध ठंडा हो गया! एकाध आलोचकों ने तो जरूर कहा कि प्रदर्शन करना अपराध कबसे हो गया, लेकिन किसी ने नहीं सुना, क्योंकि सेना ठहरी सेना! जो तय कर दिया सो तय हो गया!खबरें बताती रहीं कि कुछ विपक्षी नेताओं के अलावा कई कोचिंग सेंटरों ने भी हिंसा को भड़काया! ऐसे में उन प्रवक्ताओं का कोई क्या करे, जो एक मुंह से कहते कि हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन के पक्ष में हैं, लेकिन जैसे ही कोई पूछता कि क्या आप हिंसा करने वालों की निंदा करते हैं, वे तुरंत 'किंतु परंतु' करने लगते!