सम्पादकीय

शिवसेना पर दावेदारी

Admin2
27 Jun 2022 9:57 AM GMT
शिवसेना पर दावेदारी
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जनता से रिश्ता :जनता से रिश्ता : अब महाराष्ट्र में शिवसेना पर दावेदारी का दंगल शुरू हो चुका है। बागी विधायकों का दावा है कि अब शिवसेना पर उनका अधिकार है, जबकि उद्धव ठाकरे ताल ठोंक रहे हैं कि चूंकि उनके पिता ने यह पार्टी बनाई थी, इसलिए इस विरासत पर उनका अधिकार है। फिर सारे जिलों के संगठन प्रमुख उनके साथ हैं, इसलिए बागी विधायकों का इस पार्टी पर अधिकार जताना बेमानी है।

दरअसल, महाराष्ट्र में शिवसेना का एक बड़ा जनाधार है और जिसके पास उसका चुनाव निशान रहेगा, पार्टी पर जिसका कब्जा रहेगा, भविष्य में उसी के लिए वहां की राजनीति में जगह बनाने की संभावना भी रहेगी। इसलिए बागी विधायक जानते हैं कि अगर उन्होंने अलग पार्टी बनाई, तो उन्हें उस तरह समर्थन हासिल नहीं हो सकेगा, जैसा शिवसेना में रहते मिला करता था। इसका उदाहरण उनके सामने है कि शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई, पर वैसा समर्थन नहीं मिल सका, जैसा शिवसेना को प्राप्त है। इसलिए वे उसे हथियाने का प्रयास कर रहे हैं। मगर उद्धव ठाकरे अपने पिता की बनाई पार्टी को इस तरह किसी को हड़पने नहीं दे सकते। उसे बचाने के लिए वे अपनी राजनीतिक गोटियां ठीक कर रहे हैं।
बागी विधायकों ने पार्टी पर अधिकार पाने के लिए निर्वाचन आयोग में अर्जी भी दे दी है। कानूनी नुक्ते से निर्वाचन आयोग पार्टी पर उन्हें कब्जा दिला सकता है। नियम के मुताबिक जिस पक्ष के पास दो तिहाई से अधिक सदस्य हैं, उसे पार्टी का असली हकदार मान लिया जाता है। बागी विधायकों का दावा है कि उनके पास फिलहाल अड़तीस विधायक हैं। हालांकि उद्धव ठाकरे का दावा है कि सारे जिलों के प्रमुख और कार्यकर्ता उनके साथ हैं। मगर कानून पार्टी की स्थिति का निर्णय कार्यकर्ताओं के आधार पर नहीं, प्रतिनिधियों के आधार पर करता है।
प्रतिनिधियों को ही पार्टी के जनमत के रूप में परिवर्तित किया जाता है। इस तरह बागी विधायकों का पलड़ा भारी है। पर उद्धव ठाकरे इस प्रयास में लगे हुए हैं कि बागी विधायकों में से सोलह की सदस्यता रद्द कराने में कामयाबी मिल जाए। इसका अनुरोध उन्होंने सदन के उपसभापति से किया भी है, मगर अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। इस वक्त महाराष्ट्र विधानसभा में सभापति का पद खाली है, इसलिए इस पर निर्णय उपसभापति को लेना है। उपसभापति राष्ट्रवादी कांग्रेस के हैं, इसलिए बागी विधायकों को शक है कि वे उद्धव ठाकरे के पक्ष में जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने विधायक को निलंबित करने का अनुरोध किया है। इस तरह अब उपसभापति विधायकों को निलंबित करने संबंधी कोई कदम नहीं उठा सकते।
अभी बागी विधायक गुवाहाटी में बैठे हैं और दोनों गुटों के बीच रस्साकशी फोन और चिट्ठी के जरिए चल रही है। अभी तक किसी ने अविश्वास प्रस्ताव की मांग नहीं की है। बागी विधायकों की कोशिश है कि पहले पार्टी पर कब्जा हो जाए, तो सरकार बनाना और स्वीकार्यता हासिल करना आसान हो जाएगा। मगर उन्हें निर्वाचन आयोग मान्यता दे भी दे तो शायद महाराष्ट्र में जनाधार संभालना आसान नहीं होगा। बागी विधायकों के पक्ष में बड़े-बड़े बैनर लग गए थे, मगर शिवसेना समर्थक अब सक्रिय हो उठे हैं और उन्होंने उन पोस्टरों पर स्याही फेंकना शुरू कर दिया है। उद्धव ठाकरे ने भी धमकाया है कि बिना उनकी तस्वीर के बागी विधायक महाराष्ट्र में निकल कर दिखा दें। इस तरह यह विरासत की लड़ाई अब मूंछ की लड़ाई बन चुकी है

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